Struggle over ticket distribution in Maharashtra: उत्तरप्रदेश के बाद देश के दूसरे सबसे बड़े राज्य महाराष्ट्र में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए आईएनडीआईए के घटक दलों में टिकटों के बटवारे को लेकर खींचतान मची हुई है।
एनडीए में भी टिकटों को लेकर विवाद पैदा हुआ था। लेकिन यह मामला सुलझा लिया गया। भाजपा ने 140 सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी वही शिवसेना को 80 सीटें और राष्ट्रवादी कांग्रेस को 40 सीटे दी गई है।
अन्य सहयोगी दलों के लिए भी कुछ सीटें रखी गई है। भाजपा ने तो अब अपने प्रत्याशियों की पहली लिस्ट भी जारी कर दी है जिसमें उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फण्डवीस का भी नाम शामिल है। इसका मतलब साफ है की यदि महायुति गंठबंधन चुनाव में बहुमत प्राप्त करता है तो देवेन्द्र फणडवीस ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री होंगे।
वे एक बार पूरे पांच साल तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके है। किन्तु पिछले विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे ने भाजपा से गठबंध तोड़कर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेंस के साथ मिलकर अपनी सरकार बना ली थी।
किन्तु दो साल बाद शिवसेना में बगावत होने की वजह से उनकी सरकार गिर गई और शिवसेना से अलग हुए एकनाथ शिंदे को भाजपा ने समर्थन दे दिया और उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया गया।
बड़ी पार्टी होने के बावजूद भाजपा ने बड़ा दिल दिखाया था और पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फणडवीस को उपमुख्यमंत्री पद से संतोष करना पड़ा था। किन्तु अब महायुति गठबंधन के जितने पर देवेन्द्र फणवीस ही मुख्यमंत्री बनेगें।
इस बात के स्पष्ट संकेत मिल रहे है। दूसरी ओर महाअघाड़ी में अभी तक मुख्यमंत्री का चेहरा ही सामने नहीं आया है। उद्धव ठाकरे ने यह प्रयास किया था की उनके गठबंधन की ओर से उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जाए लेकिन कांग्रेस और शरद पवार ने इस पर सहमति नहीं दी।
इसके बाद महाअघाड़ी में सीटों के बटवारे को लेकर घमासान मचा हुआ है। 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में उद्धव ठाकरे ज्यादा सीटों पर दावा कर रहे है ताकि बहुमत मिलने पर वे मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा ठोक सके।
अभी भी महाअघाड़ी में टिकटों के बटवारे की गुत्थी सुलझ नहीं पाई है लगभग 40 सीटों पर पेंच फसा हुआ है। जाहिर है टिकटों के बटवारे के मामले में एनडीए ने बाजी मार दी है जबकि आईएनडीआईए में अभी तक मतभेद सुलझाने की कवायद चल रही है।
दोनों ही गठबंधनों में सीटें बटने और प्रत्याशियों के नाम घोषित होने के बाद ही महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तस्वीर साफ हो पाएगी।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव एनडीए और आईएनडीआईए दोनों के ही लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद भाजपा के हौसले बुलंद है
वहीं हरियाणा में मिली हार के कारण कांग्रेस का मनोबल गिरा हुआ है। देखना दिलचस्प होगा कि हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणाम महाराष्ट्र में कैसा और कितना असर डालते है।