State Formation : छत्तीसगढ़ मध्य भारत का हिस्सा है, जिसकी राजधानी रायपुर है। छत्तीसगढ़ पहले मध्यप्रदेश का हिस्सा हुआ करता था। 1 नवम्बर सन् 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ। छत्तीसगढ़ 1,35,192 किलोमीटर के क्षेत्रफ ल में फैला हुआ है। यह प्रदेश पहाडों़, नदियों, घने जंगलों और प्राचीन मंदिरों के लिए भी विख्यात है। यहां की बोली-भाषा हो या लोक संस्कृति, पर्व भी बड़े अद्भुत हंै।
यह आदिवासी बहुल राज्य है और यहां की अर्थव्यवस्था वनोपज, (State Formation) कृषि पर निर्भर है। 17 दिसम्बर 2018 को छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद श्री भूपेश बघेल ने किसानों, आदिवासियों, ग्रामीणों, युवाओं, महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए लगातार अनेक योजनाएं शुरू कीं, साथ ही प्रदेश में प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण की दिशा में भी अनेक कार्य किए। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय छत्तीसगढ़ अंचल में रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, रायगढ़, बिलासपुर, बस्तर और सरगुजा जिले ही अस्तित्व में थे। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पहले इस अंचल में वर्ष 1998 को बिलासपुर जिले के कुछ हिस्से तथा राजनांदगांव जिले के हिस्से के साथ कबीरधाम जिला बनाया गया।
फिर बिलासपुर जिले के कुछ हिस्से को तोड़कर कोरबा, जांजगीर-चांपा जिला बनाया गया। इसी तरह रायपुर जिले से महासमुंद, धमतरी को नया जिला का दर्जा मिला। बस्तर जिले से कांकेर, दंतेवाड़ा और सरगुजा जिले से कोरिया, जशपुर को अविभाजित मध्यप्रदेश सरकार ने नया जिला बनाया था। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के समय प्रदेश में मात्र 16 जिले बस्तर, कांकेर, दंतेवाड़ा, रायपुर, महासमुंद, धमतरी, दुर्ग, राजनांदगांव, कबीरधाम, बिलासपुर, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, कोरबा, सरगुजा, कोरिया और जशपुर ही थे।
वर्ष 2007 में जिला बस्तर व कांकेर के कुछ भाग को जोड़ते हुए नारायणपुर जिला और दंतेवाड़ा के कुछ भाग को शामिल करते हुए बीजापुर जिला बनाया गया। इस तरह 16 से बढ़कर 18 जिले वाला छत्तीसगढ़ राज्य कहलाया। वर्ष 2012 में 9 जिलों का गठन हुआ इसमें बस्तर के कुछ भाग को जोड़ते हुए कोंडागांव, दंतेवाड़ा जिले के कुछ भाग को सुकमा जिले में शामिल किया गया। इसी तरह रायपुर जिले में आने वाले बलौदाबाजार-भाटापारा एवं गरियाबंद को जिला बनाया गया।
बिलासपुर जिले के अंतर्गत मुंगेली को जिला बनाया गया तो दुर्ग जिले से बालोद व बेमेतरा को नए जिले का दर्जा मिला। सरगुजा जिले से बलरामपुर-रामानुजगंज एवं सूरजपुर को जिला बनाया गया। मुख्मयंत्री बने महज 14 माह ही हुए थे कि अंचल की बहुप्रतीक्षित मांग व सपने को पूरा करते हुए ‘गौरेला-पेंड्रा-मरवाहीÓ को फरवरी 2020 में जिला बनाकर एक इतिहास रच दिया। इस तरह जीपीएम (गौरेला-पेंड्रा-मरवाही) जिला बनने से करीब साढ़े तीन लाख लोगों को शासन-प्रशासन की विभिन्न योजनाओं, कार्यों, जरूरतों को पूरा करने के लिए समय की बचत, शारीरिक, मानसिक व आर्थिक परेशानियों से छुटकारा भी मिला।
सामान्य भाषा में विकेन्द्रीकरण का अर्थ है कि शासन-सत्ता को एक स्थान पर केन्द्रीत करने के बजाय उसे स्थानीय स्तर पर विभाजित किया जाए ताकि आम आदमी की सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित हो सके और वह अपने हितों व आवश्यकताओं के अनुरूप शासन-संचालन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सके। यही सत्ता विकेन्द्रीकरण का मूल आधार है, अर्थात् आम जनता तक शासन-सत्ता की पहुंच को सुलभ बनाना ही विकेन्द्रीकरण है।
इस तरह 48 माह के मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण को और तवज्जो देते हुए गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही के अलावा मोहला-मानपुर-चैकी, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई, सारंगढ़-बिलाईगढ़, मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर तथा सक्ती को नए जिले बनाकर क्षेत्रवासियों को एक महत्वपूर्ण सौगात दी। श्री भूपेश बघेल जिला निर्माण तक ही सीमित नहीं रहे बल्कि नई तहसीलों एवं अनुविभागों का भी गठन किया। विगत चार सालों में 79 तहसीलों तथा 19 नए अनुविभागों का गठन करके अंचल के जरूरतों को पूरा किया और आम लोगों की परेशानियों को दूर भी किया।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने महज चार सालों (State Formation) में जिन 6 जिलों का निर्माण किया है, वहां रहने वाले आदिवासी, अनुसूचित जाति तथा पिछड़े वर्गों के सर्वांगीण विकास तो हो ही, साथ ही सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, पुरातात्विक विकास के साथ खनिज संसाधनों का समुचित लाभ भी इन जिलेवासियों को मिल सके। सड़क, बिजली, पानी, अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, राशन दुकान जैसी अधोसंरचना के साथ बुनियादी सुविधाओं का विस्तार हो और स्थानीय युवाओं को रोजगार भी आसानी से मिल सके। निश्चय ही इन तहसीलों, अनुविभागों तथा जिलों के गठन से विकास की रफ्तार गति पकड़ेगी और आम लोगों के विश्वास को बरकरार रखते हुए शासन-प्रशासन तेजी से जनहितकारी काम भी करेगा।