-इस कदम से भारत में बड़े पैमाने पर बैटरी-ग्रेड एल्यूमीनियम फॉयल का निर्माण संभव हो पाएगा, जिससे घरेलू स्तर पर लिथियम-आयन बैटरी के उत्पादन में मदद मिलेगी
-SEL टाइगर TMT री-बार्स का निर्माण करने वाली कंपनी
रायपुर। SEL Tiger TMT: देश में अपनी पहचान बनाने वाले एस-ई-एल टाइगर टीएमटी री-बार्स के निर्माता एवं विक्रेता, श्याम मेटालिक्स एंड एनर्जी लिमिटेड ने बैटरी-ग्रेड एल्यूमीनियम फॉयल के निर्माण की घोषणा के साथ एनर्जी स्टोरेज के क्षेत्र में कदम रखा है, जो लिथियम-आयन सेल का बेहद महत्वपूर्ण घटक है।
श्याम मेटालिक्स का मुख्यालय कोलकाता में स्थित है, जो देश में इंटीग्रेटेड मेटल का उत्पादन करने वाली बड़ी कंपनियों में से एक है, और अब बैटरी ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत पहल’ में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली घरेलू कंपनी बनने की राह पर आगे बढ़ रही है।
श्याम मेटालिक्स इस इंडस्ट्री में सबसे आगे है, जिसे अपने अत्याधुनिक एस-ई-एल टाइगर टीएमटी री-बार के ज़रिये भवन-निर्माण के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बदलाव लाने के लिए जाना जाता है। यह विभिन्न प्रकार के उद्योगों में इस्तेमाल होने वाले एल्युमीनियम फॉयल का उत्पादन और निर्यात करने वाली एक बड़ी कंपनी है। श्याम मेटालिक्स की सालाना उत्पादन क्षमता 20,000 टन है, और अब भारत को दुनिया के लिथियम-आयन सेल बाजार में कच्चे माल की बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने में सक्षम बनाने के लिए तैयार है, और उम्मीद है कि वर्ष 2030 तक इस बाजार की क्षमता 6500GWh तक पहुंच जाएगी।
LFP (लिथियम आयरन फॉस्फेट) सेल्स विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रिक वाहनों और एनर्जी स्टोरेज सिस्टम को ऊर्जा प्रदान करता है, और 1GWh (गीगावाट-ऑवर) LFP सेल्स के उत्पादन के लिए बहुत अधिक शुद्धता और एक-समान मोटाई वाले 350 टन एल्युमीनियम फॉयल की जरूरत होती है, जो पॉजिटिव (कैथोड) करंट कलेक्टर की तरह काम करता है। सोडियम-आयन बैटरियों के लिए यह मांग दोगुनी हो जाती है, जिसमें पॉजिटिव और नेगेटिव, दोनों करंट कलेक्टर के लिए एल्युमीनियम फॉयल का इस्तेमाल करने की जरूरत होती है।
श्याम मेटालिक्स द्वारा तैयार किए गए कस्टमाइज्ड बैटरी एल्युमीनियम फॉयल की मोटाई 12-माइक्रोन से 20-माइक्रोन तक होती है, जिसका परीक्षण तथा प्रमाणन तीसरे पक्ष की लैबोरेट्रीज द्वारा किया जा चुका है। इसके अलावा, कंपनी के पास 6-माइक्रोन तक की मोटाई वाली बेहद पतले एल्यूमीनियम फॉयल का निर्माण करने के लिए जरूरी अत्याधुनिक जर्मन मशीनें भी मौजूद हैं। इस तरह के पतले एल्यूमीनियम फॉयल भविष्य की जरूरतों के लिए सबसे बेहतर हैं, जो सेल की ग्रैविमेट्रिक एनर्जी डेंसिटी (सेल के प्रति इकाई भार में मौजूद ऊर्जा की मात्रा, जिसे वाट-घंटा/किलोग्राम के रूप में दर्शाया जाता है) को बढ़ा देते हैं।
कंपनी ने एस-ई-एल टाइगर टीएमटी री-बार्स को अत्याधुनिक तकनीक से तैयार किया है, जो सीमेंट के साथ मजबूत जोड़ बनाने की अपनी बेमिसाल क्षमता के साथ भवन-निर्माण के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बदलाव ला रहा है। ये री-बार्स 5.5/6 मिमी से 32 मिमी तक के आकार में उपलब्ध हैं, जिनमें किसी भी तरह की खामी नहीं है और वे सतह को चिकना बनाने के साथ-साथ थर्मल-कंडक्टिविटी को भी कम करते हैं। इन्हीं खूबियों की वजह से वे रेजिडेंशियल, कमर्शियल और इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट के लिए सबसे पसंदीदा विकल्प बन जाते हैं।
एस-ई-एल टाइगर टीएमटी री-बार्स को तैयार करने में बारीकियों पर खास ध्यान दिया गया है जिनकी मजबूती बेमिसाल है, साथ ही वे बेहद टिकाऊ व भरोसेमंद हैं। एस-ई-एल टाइगर टीएमटी री-बार्स को बिल्डरों और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र के प्रोफेशनल्स की अलग-अलग जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, और दमदार प्रदर्शन के मामले में इसका कोई मुकाबला नहीं है, जिससे बेहद मजबूत और स्थायी इमारतों का निर्माण संभव होता है।