Editorial: बिहार विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बिहार में अपराधों का ग्राफ जिस तेजी से बढ़ रहा है उसे देखते हुए चुनाव के दौरान बिहार में हिंसक घटनायें होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। पिछले कुछ दिनों से बिहार में एक के बाद एक हिंसक घटनायें हो रही हैं। एक बड़े करोबारी गोपाल खेमका की जघन्य हत्या की घटना की स्याही अभी सूख भी नहीं पाई थी कि पूर्णिया एक गांव में एक ही परिवार के पांच लोगों को पहले बुरी तरह पीटा गया और फिर उन्हें जिंदा जला दिया गया।
समझ में नहीं आता की यह कैसी क्रूर मानसिकता है। पूर्णिया जिले में हुई इस पाश्विक घटना के आरोप में इन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि 23 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। इस हृदय विदारक घटना से पूरे पूर्णियां जिले में दहशत फैल गई है। खेमका हत्याकांड को लेकर जब विपक्ष ने नीतीश कुमार की सरकार पर निशाना साधा और तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि बिहार में राक्षस राज कायम हो गया है।
तब कहीं जाकर पुलिस महकमा हरकत में आया और गोपाल खेमका के हत्या के आरोप मेें शूटर उमेश को गिरफ्तार किया गया। और उसे हथियार की सप्लाई करने वाले विकास उर्फ राजा का मुठभेड़ में मार गिराया गया। इस हत्याकांड के मास्टरमांइड बिल्डर अशोक साव को भी गिरफ्तार किया गया है जिसने खेमका की हत्या के लिए दस लाख रूपये की सुपारी दी थी। इस हत्याकांड ने बिहार में कानून और व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को उजागर कर दिया है।
गौरतलब है कि बिहार में जब राष्ट्रीय जनता दल की सरकार हुआ करती थी तब वहां जंगलराज कायम हो गया था। हत्या अपहरण और लूटपाट आम बात हो गई थी। इसी जंगलराज के खिलाफ जदयू ने मोर्चा खोला था और राजद को सत्ता से हटाने में सफल हुआ था। तब से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुशासन बाबू का नाम दिया गया था उनके कार्यकाल में बिहार से अपराध खत्म तो नहीं हुए लेकिन उनमें कमी जरूर आई।
किन्तु अब जबकि बिहार विधानसभा चुनाव में सिर्फ चार महीने का समय शेष रह गया है तब अचानक बिहार में आपराधिक घटनाओं में हो रही बढोत्तरी नीतीश कुमार की सरकार के लिए निश्चित रूप से परेशानी का सबब बन सकती है। इन बढ़ते अपराधों को लेकर ही तेजस्वी यादव ने कटाक्ष किया है कि बिहार में राक्षस राज स्थापित हो गया है जाहिर है बिहार में कानून और व्यवस्था का मामला प्रमुख चुनावी मुद्दा बनेगा। इसलिए नीतीश कुमार सरकार को अपराधों पर लगाम लगाने की कड़े कदम उठाने होंगे।