Return farmers border : केन्द्र सरकार ने तीन नए कृषि कानूनों को वापस ले लिया है, इसके बावजूद आंदोलित किसान संगठन दिल्ली के बार्डर पर डेरा डाले बैठे है। किसान नेता राकेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित किसान महापंचायत में घोषणा की है कि किसानों का आंदोलन अभी और जारी रहेगा। उनका कहना है कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेने से किसानों को कोई लाभी नहीं होगा जब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का कानून नहीं बना दिया जाता।
जब तक सरकार एमएसपी पर कानून नहीं बनाएगी और किसानों (Return farmers border) की अन्य मांगों को स्वीकार नहीं करेगी तब तक किसान दिल्ली के बार्डर पर बैठे रहेंगे। इसका मतलब साफ है कि किसानों का यह आंदोलन अनिश्चितकाल तक चलता ही रहेगा। फसलों के लिए एमएसपी लागू करने का कानून बनाना आसान नहीं है। यह बात किसान नेता भी समझते है। दुनिया के किसी भी देश में फसलों की खरीद के लिए न्यूनतन समर्थन मूल्य का कानून नहीं बना है। भारत में भी आजादी के बाद से लगभग २० सालों तक न्यूनतम समर्थन मूल्य का कोई प्रावधान नहीं था।
जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने तब उन्होने किसानों के दर्द को समझतें हुए गेहूं, धान और दाल सहित कुछ कृषि उपजों की सरकारी स्तर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदी की व्यवस्था लागू की थी। उस समय देश के हालात ऐसे थे कि भारत को विदेशों से अनाज आयात करना पड़ रहा था। भारत कृषि के मामले में आत्मनिर्भर नहीं बना था। ऐसी स्थिति में विदेशों से अनाज मंगाने की जगह भारतीय किसानों से समर्थन मूल्य पर अनाज लेना सस्ता पड़ा था किन्तु अब स्थिति बदल चुकी है।
भारत न सिर्फ खाद्यान उत्पादन में आत्मनिर्भर बन चुका है बल्कि इतना ज्यादा उत्पादन होने लगा है कि उसे सुरक्षित रखने के लिए सरकारी गोदाम कम पड़ रहे हैद्ध नतीजतन बड़ी मात्रा में अनाज खुले आसमान के नीचे पड़ा रहता है और करोड़ों रूपए का अनाज सड़ जाता है। ऐसी स्थिति में कृषि उपजों पर एमएसपी का कानून लागू कर दिया जाता है तो सरकार का दो तीप सालों में ही दीवाला निकल जाएगा।
इतनी बड़ी मात्रा में सरकार अनाज खरीद कर आखिर उसका करेगी क्या? जबकि व्यापारी (Return farmers border) हाथ खीच लेंगे और विदेशो से सस्ते दर पर अनाज आयात करने लगेंगे। कुल मिलाकर एमएसपी पर कानून बनाना असंभव ही हद तक कठिन काम है। यह बात किसान नेताओं को समझनी चाहिए और दिल्ली के बार्डर से हटकर उन्हे अपने खेतों की ओर लौट जाना चाहिए। एमएसपी को और बेहतर बनाने का पीएम मोदी ने वादा किया है उसपर किसानों को भरोसा रखना चाहिए