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Respect for Women : नारी शक्ति: राष्ट्र की शक्ति

Respect for Women: Women power: Power of the nation

Respect for Women


सुधा मूर्ति। Respect for Women : यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता… यह श्लोक हजारों वर्ष पहले हमारे भारत में उस समय लिखा गया था जब हमारे पूर्वज नारी की शक्ति से अच्छी तरह परिचित थे। ‘महिलाÓसे आशय सिर्फ स्त्री लिंग नहीं है, बल्कि इसका अर्थ इससे भी कहीं आगे है। महिलाएं समाज का आधा हिस्सा हैं और वे परिवार की रीढ़ होती हैं। जहां महिलाओं का सम्मान होता है और उन्हेंसही दर्जा मिलता है, वहां देवता निवास करते हैं। लेकिनहजारों वर्ष पहले के दिनों के उलट, सदियों सेविभिन्न कारणों से हमारी महिलाओं को घरों के भीतर रखा गया।

प्राचीन भारत में, महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर माना जाता था और उन्हें बौद्धिक बहसों, प्रशासन, संपत्ति उत्तराधिकार, विद्वतापूर्ण ज्ञान आदि केमामले में मौके दिए जाते थे। बाद मेंमहिलाओं को शिक्षा, सामाजिक स्थिति और काफी हद तक उनके अस्तित्व से वंचित कर दिया गया। उनकी पहचान केवल एक बेटी के रूप में, एक पत्नी के रूप में या एक मां के रूप में ही सिमट गई और उन्हें समानता एवं साहस के गौरव से वंचित हो जाना पड़ा। मुझे लगता है कि महिलाएं पेड़ से बंधीमादा हाथी की तरह होती हैं। एक मादा हाथी के लिएएक पेड़ को उखाड़ देना कोई बड़ी बात नहीं है, और वह उसे आसानी से खींच सकती है। लेकिन मादा हाथी सोचती है कि वह जंजीर से बंधी है और इसलिए वह अपनी क्षमता का उपयोग नहीं करती है।

महिलाओं के मामले में भी कुछ ऐसा ही है। वे कुशल प्रबंधक होती हैं, परिवार की नींव होती हैं, बेहद मेहनतीहोती हैं; लेकिन वे इस मानसिकता मेंजकड़ी होती हैं कि वे अपनी शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकतीं या अपनी क्षमताओं का उपयोग नहीं कर सकतीं। इस तरह सेसोचना संभव है क्योंकि किसी भी हलचलया लहर को प्रेरित करने के लिए एक प्रस्थान बिंदु की जरूरत होती है। यह बिंदु मिलेगा कैसे?कौन उनकी मदद करेगा?कौन उन्हें विश्वास दिलाएगा? कौन उनकी मदद करने के लिए नीति प्रदान करेगा या कौन पहली बार उसकी क्षमता को सामने लाएगा? धुएं से भरे रसोईघर से उसका बाहर आना कौन स्वीकार करेगा? एक नया उद्यम शुरू करने की इच्छाजताने पर कौन उसकी मदद करेगा?

कौन खेल, स्वास्थ्य, रक्षा औरविमानन के क्षेत्र में उसकी क्षमता की सराहना करेगा? एकबारगी यह सब हो जाए, तो वह राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में भरपूर क्षमता के साथ खुद को आगे बढ़ाएगी। उनके जीवन में इस तरह काअदभुतबदलावएक ऐसे सही नेता की वजह से संभव हुआ है, जिन्होंने महिलाओं की स्थिति को लेकर बात की और लोगों को इस बात के लिए जागरूक किया कि बेटियां ईश्वर का अनमोल उपहार हैं। उक्त नेता नेइस देश के सभी आम पुरुषों व महिलाओंके साथ अच्छे जीवंत और वास्तविक उदाहरणों के साथ एक कार्यक्रम के माध्यम से बातचीत शुरू की। उन्होंनेसही शब्दों के साथ सही वादा कियाऔरसही दिशा में आगे बढ़े। चाहे वह ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओÓ का मामला हो या ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजनाÓ, ‘उज्ज्वला योजनाÓ, ‘स्वच्छ भारत मिशनÓ हो या फिर ‘प्तसेल्फी विद डॉटरÓ की बात हो।

किसने नारी शक्ति को प्रोत्साहित किया और महिलाओं को यह याद दिलाया कि देश के राष्ट्रीय धन के निर्माण में उनकी भी जिम्मेदारी है? इस नेता ने यह सब 2014 में शुरू हुए ‘मन की बातÓकी विभिन्न कडिय़ों के जरिए किया, जिसमें बच्चों में परीक्षा का डर, माता-पिता का दबाव, महिला सशक्तिकरण (नारी शक्ति) आदि जैसे विभिन्न सामाजिक मुद्दे शामिल थे।
वह नेता कोई और नहीं बल्कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी हैं। देश की जनता के साथ उनकी बातचीत के इस प्रसारित कार्यक्रम को ‘मन की बातÓके नाम से जाना जाता है। वह जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ेअलग-अलग लोगों के साथ, विभिन्न हितों के बारे में बात करते हैं और उन वास्तविक नायकों का पता लगाते हैं जो गुमनाम, अनसुने वअनदेखे हैं, लेकिन जिन्होंने महान कार्य किया है।

जब एक अच्छा नेता बिना किसी अतिशयोक्ति के लगातार बात करता है, तो लोग सुनते हैं और उसपर विश्वास करते हैं और फि र अनुसरण करते हैं। श्री मोदी जो बोलते हैं और उनका जो आशय होता है, उसको लेकर पूरा देश उन पर अगाध भरोसाकरता है। खासकरमहिलाएं, जिन्हें उनकी बातों और परियोजनाओं से बहुत लाभ हुआ है। आज विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं ने बहुत कुछ हासिल किया है। जब महिलाएं असाधारण कार्य करती हैं, तो उनका नाम लिया जाता है और उनकी सराहना की जाती है और राष्ट्र उन्हें स्वीकार करता है।वे कई युवाओं के लिए आदर्श बन जाती हैं और इसीलिए लड़कियां बड़े सपने देख रही हैं क्योंकि उन्हें यह मालूम है कि नीतियां उनके पक्ष में हैं और उन सपनों को साकार किया जा सकता है।

कुछ महीने पहले, मैं अपने काम के सिलसिले में एक गांव में गई थीऔर वहां बच्चों के एक समूह के साथ बातचीत कर रही थी। हम आपस में अलग-अलग विषयों पर सवाल-जवाब कर रहे थे। बातचीत के अंत में, उस समूह की युवा लड़कियों से मेरा आखिरी सवाल यह था कि’तुम बड़ी होकर क्या बनना चाहती हो?Óचमक भरी आंखों वाली एक लड़की ने तुरंत कहा, मैं जोया अग्रवाल बनना चाहती हूं। मुझे उत्सुकता हुई और मैंने पूछा, क्यों। उसने कहा, आप टीवी नहीं देखतीं?आप अखबार नहीं पढ़तीं? जोया अग्रवाल संपूर्ण महिला पायलट टीम कोउत्तरी ध्रुव के ऊपर से उड़ान भरतीहुई 16,000 किलोमीटर की दूरी तय करकेसन फ्रांसिस्को से बैंगलोर तक ले गईं। वह हमारे प्रधानमंत्री से मिलीं। मैं उनके जैसा बनना चाहती हूं।

एक दूसरी लड़की ने कहा, मैं ओलंपिक में भाग लेना चाहती हूं, क्योंकि मैं अन्य लड़कियों के लिए एक आदर्श बनूंगी और प्रधानमंत्री से सम्मान पाउंगी।” तीसरी लड़की ने कहा, मैं एक महिला उद्यमी बनना चाहती हूं, क्योंकि पीएमएमवाई जैसी बड़ी परियोजनाएं उपलब्ध हैं जो मेरी मदद करेंगी। उनकी मां बाहर आईं और बोलीं, मैडम, मैं प्रधानमंत्री जी को एलपीजी दिलवाने के लिए धन्यवाद देना चाहती हूं। इसने मेरी आंखों को धुएं से बचाया है और मेरे स्वास्थ्य को बेहतर किया है।”एक अन्य महिला ने कहा, “मैं अब शौचालय जाने में सुरक्षित महसूस करती हूं

कुछ बूढ़ी औरतें आगे आईं और बोलीं, हम ‘मन की बातÓ तो सुनती हैं, लेकिन धन्य वाद कैसे करेंयह हमें नहीं पता। मैडम, अगर आप उनसे मिलें या उन्हें लिखें, तो कृपया उन्हें हमारी तरफ से यह बताएं कि इस देश की आपकी बहनें आपका धन्यवाद करना चाहती हैं। उनके आंसुओं ने यह दर्शाया कि वे किस कदर आभार व्यक्त करना चाहती थीं। मैंने उनसे कहा था कि कभी, कहीं, किसी तरह यह कर दूंगी। और, मेरे मन में अनायास ही हमारी नारी शक्ति में आत्मविश्वास से भरायह बदलावदर्ज हो रहा रहा था।

मुझे एक बार फिर सेयह श्लोक याद आया, यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता।

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