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RBI Monetary Policy: आरबीआई से तत्काल कोई राहत नहीं, ईएमआई कम होने का करना होगा इंतजार

RBI Monetary Policy: No immediate relief from RBI, will have to wait for reduction in EMI

RBI Monetary Policy

-रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकात दास ने बैठक में लिए गए फैसलों की दी जानकारी

मुंबई। RBI Monetary Policy: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक बुधवार को शुरू हुई। इसके बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी। पिछले कुछ महीनों से हर कोई इस बात का इंतजार कर रहा था कि क्या ईएमआई कम होगी। लेकिन ईएमआई में कटौती के लिए अभी और इंतजार करना होगा। रिजर्व बैंक ने इस बार आठवीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इस बार रेपो रेट 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा गया। दास ने बताया कि समिति के 6 में से 4 सदस्यों ने रेपो रेट को स्थिर रखने के पक्ष में वोट किया।

इस अवसर पर शक्तिकांत दास ने कहा अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है और वर्तमान में हम मुद्रास्फीति और विकास के बीच संतुलन बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2025 में जीडीपी विकास दर 7 प्रतिशत से बढ़कर 7.2 प्रतिशत होने का अनुमान है। उन्होंने यह भी बताया कि रिजर्व बैंक का लक्ष्य महंगाई दर को 4 फीसदी पर लाना है।

शताब्दी वर्ष निकट आ रहा है

वैश्विक वृद्धि बनी रहेगी और 2024 में भी मजबूत रहने की संभावना है। नई आधुनिक प्रौद्योगिकियां, व्यापार और वित्त पैटर्न में बदलाव, साथ ही जलवायु परिवर्तन, नए अवसरों के साथ-साथ चुनौतियां भी ला रहे हैं। आरबीआई का शताब्दी वर्ष नजदीक आ रहा है। इस बीच रिजर्व बैंक भारत विश्व स्तर पर भारत की उपस्थिति बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, यह पहले से अधिक तैयार होगा।

जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदी रहने का अनुमान

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। हालांकि मार्च-अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति कम हो गई, लेकिन खाद्य मुद्रास्फीति अभी भी बढ़ रही है। वित्तीय वर्ष 2025 की अप्रैल-जून तिमाही के लिए जीडीपी का अनुमान 7.3 प्रतिशत, जुलाई-सितंबर के लिए 7.2 प्रतिशत, अक्टूबर-दिसंबर के लिए 7.3 प्रतिशत और जनवरी-मार्च के लिए 7.2 प्रतिशत है।

तीसरी तिमाही में ब्याज दर में कटौती की उम्मीद

वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में नीतिगत दर में कटौती हो सकती है। एसबीआई रिसर्च द्वारा जारी नवीनतम विश्लेषण में कहा गया है कि जब कटौती की श्रृंखला शुरू होगी, तो यह नाममात्र होगी।

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