गर्मी के दिनों में भूजल स्तर चिंताजनक स्थिति में होने के कारण जिले में भीषण जल संकट की स्थिति थी। कुएं और तालाब जैसे पारंपरिक जलस्रोत सूख जाते थे। न बोरवेल काम करते थे और न नदी-नालों में बूंद भर पानी रहता था। हर वर्ष गंभीर होती जा रही स्थिति से निपटने जिला प्रशासन ने मिशन जल रक्षा (Rajnandgaon Water Conservation Success) के रूप में जल संरक्षण और उससे जुड़े जागरूकता अभियान की ऐसी श्रृंखला बनाई कि जिले का नाम देशभर में रोशन हो गया। यही कारण है कि जल संरक्षण को लेकर घोषित छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कारों की सूची में पूर्व जोन से राजनांदगांव का भी नाम शामिल है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु 18 नवंबर को दिल्ली में यह पुरस्कार प्रदान करेंगी।
भूजल संरक्षण और संवर्धन की दिशा में मिशन जल रक्षा (Rajnandgaon Water Conservation Success) के अंतर्गत एक अनूठी और तकनीकी दृष्टि से समृद्ध पहल की जा रही है, जो राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन रही है। जिले में अब तक लगभग दो हजार परकोलेशन टैंक का निर्माण किया जा चुका है, जो भूजल रिचार्ज की प्राकृतिक संरचनाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
इन टैंकों के निर्माण के लिए जीआईएस फ्रैक्चर जोन आइडेंटिफिकेशन जैसी वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग किया गया है, जिससे जल के प्रवाह और भूजल पुनर्भरण के उपयुक्त स्थलों का चयन किया गया। इन टैंकों में आसपास के क्षेत्रों से वर्षा जल एकत्रित होकर सीधे जमीन में रिसता है और भूजल स्तर को पुनः भरने में सहायक होता है। साथ ही छोटे-छोटे जल संरचना बनाकर भूजल स्तर को बनाए रखने का महत्वपूर्ण कार्य किया गया है।
ढाई सौ से अधिक परकोलेशन टैंक में इंजेक्शन वेल बनाया गया है, जो वर्षा जल को व्यर्थ बहने से रोकता है, बल्कि उसे सीधे भूजल में भी समाहित करता है। इस तरह की वैज्ञानिक पहल ने राजनांदगांव को भूजल प्रबंधन (Water Conservation Mission Chhattisgarh) में राष्ट्रीय पहचान दिलाई है।
(Rajnandgaon Water Conservation Success) जिले को मिलेंगे दो करोड़ रुपये
घोषित जल पुरस्कार के रूप में जोन के शीर्ष सभी तीन जिलों के साथ ही शीर्ष 10 नगरीय निकायों में पहले तीन निकायों को दो-दो करोड़ रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। राजनांदगांव जिले को दो करोड़ रुपये मिलेंगे। इसका उपयोग जल संरक्षण से जुड़े कार्यों में किया जाएगा ताकि समस्या के स्थायी समाधान की दिशा में और बेहतर काम किया जा सके।
इस अभियान का नेतृत्व जिला पंचायत सीईओ सुरूचि सिंह ने किया। उनकी कार्ययोजना पर अभियान मोड में काम हुआ। अभियान में सारथी के रूप में पद्मश्री फुलबासन यादव की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिनकी टीम ने हरियाली बहिनी अभियान के रूप में ग्रामीणों को जागरूक किया।
गर्मी ही नहीं बल्कि वर्षाकाल में भी लोगों को जल संरक्षण के लिए प्रेरित किया जाता रहा। गांवों में पौधारोपण, सोखता गड्ढा, जलयात्रा, संगोष्ठी और जल चौपाल के साथ ही नदी-नालों में बोरी बंधान कर जल संरक्षण अभियान को कारगर बनाने में ग्रामीणों की अहम भूमिका रही।

