रायपुर/नवप्रदेश। Rajesh Chauhan : टीम इंडिया के पूर्व अंतरराष्ट्रीय ऑफ स्पिनर राजेश चौहान हर टीम के लिए कड़े प्रतिद्वंद्वी के तौर पर जाने जाते थे। उनके साथ एक अनोखा रिकॉर्ड भी जुड़ा है। उन्होंने अपने कैरियर में जो 21 टेस्ट खेले हैं, उनमें टीम इंडिया को कभी हार का सामना नही करना पड़ा। एक वक़्त ऐसा भी था जब अनिल कुंबले, वेंकटपति राजू और राजेश चौहान की स्पिन तिकड़ी को भारतीय पिचों पर खेल पाना विदेशी टीमों के लिए कभी आसान नही रहता था।
नवप्रदेश के विशेष खेल संवाददाता नितेश छाबड़ा ने उनसे लंबी बातचीत की। साक्षात्कार के दौरान उन्होंने अपने कैरियर के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया। साथ ही भारतीय टीम के वर्तमान परिदृश्य और रायपुर में होने वाले पहले अंतराष्ट्रीय मैच पर भी अपने विचार व्यक्त किए। प्रस्तुत हैं इसके प्रमुख अंश-
प्रश्न-क्रिकेट में आपकी शुरुआत किस तरह हुई?
उत्तर- मेरी क्रिकेट की शुरूआत भिलाई से ही हुई। पिताजी भी क्रिकेट खेलते थे, इसलिए क्रिकेट में मेरी भी रुचि बढ़ी। मैं शुरू से पढ़ाई में भी अच्छा था, इसलिए स्कूली क्रिकेट में ज़्यादा नही खेल पाया। कॉलेज में आने के बाद मैंने क्रिकेट को गंभीरता से लिया।कॉलेज के ही कुछ प्राध्यापकों और पिताजी से मुझे काफी बढ़ावा मिला। इसी दौरान भिलाई स्टील प्लांट में मेरी नौकरी लग गई और जल्दी ही मेरा चयन रणजी ट्रॉफी के लिए हो गया।
इसका सबसे सकारात्मक पहलू यह था कि उस वक़्त मध्यप्रदेश की टीम में संदीप पाटिल और चंद्रकांत पंडित थे। मुझे इनसे काफी मार्गदर्शन मिला। मैंने स्टील ऑथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की टीम का भी प्रतिनिधित्व किया और अगले 10 वर्षो तक काफी हार्ड क्रिकेट खेला। वहां की परफॉर्मेंस के आधार पर टीम इंडिया में मेरा चयन हो गया। शुरुआत में मै मीडियम पेस गेंदबाज था। मेरे पिताजी खब्बू स्पिनर के तौर पर दिलीप ट्रॉफी खेले थे, इसलिए मैंने भी स्पिन गेंदबाजी पर अपना फोकस किया।
भारतीय टीम के पूर्व स्पिनर मनिंदर सिंह और सेल में कार्यरत दलजीत सिंग से स्पिन गेंदबाजी के गुर सीखने में काफी मदद मिली। मैंने स्वयं भी बहुत मेहनत की ओर नेट्स में जो गेंदबाज होते थे, उनसे भी मै सीखता चला गया। उनसे राय लेता था। धीरे धीरे मैं अपने गेम को निखारते चला गया।
प्रश्न-स्पिन तिकड़ी को लेकर कुछ बताएं। आखिर ये कैसे बनी और अनिल कुंबले और राजू के साथ का अनुभव कैसा रहा?
उत्तर- हमारी स्पिन तिकड़ी स्वाभाविक रूप से बनती चली गई। सबसे बड़ी बात यह थी कि क्रिकेट प्रेमी और समीक्षक हमारे बारे बातें करते थे। हर जगह हमारी तिकड़ी को एक प्रसिद्धि मिली थी। हमने बड़ी मेहनत से टीम के अंदर जगह बनाई थी। हम आपस में चर्चा करके रणनीति बनाते थे कि किस तरह से गेंदबाजी करनी है। कैसे सामने वाली टीम के बल्लेबाजों को परेशान करना है। ये सब पर भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर या यह कहे कि ऐसे विकेटों पर जहां गेंद सीम होती थी, तीन स्पिनरों का एक साथ खेलना संभव नही था। भारतीय उपमहाद्वीप में हमारी तिकड़ी लगातार खेली और अच्छा परफॉर्मेंस किया। साथ ही यह भी कहना चाहिए कि ऊपर वाले का आशीर्वाद था कि मैंने अपने कैरियर में जो 21 टेस्ट खेले हैं, उनमें कभी भी टीम इंडिया को हार का सामना नही करना पड़ा।
प्रश्न-1997 में जब श्रीलंका की टीम ने रिकॉर्ड 952 रनों का स्कोर किया, तब आप भी उस टीम में थे और सनथ जयसूर्या को 340 के स्कोर पर आपने ही आउट किया था। श्रीलंका के द्वारा इतना बड़ा स्कोर बना लेने पर आप क्या कहेंगे?
उत्तर- इस बारे में जब भी मैं अनिल और राजू मिलते हैं, तो जरूर इस पर चर्चा होती है। कुछ महीने पहले भी हम आपस मे मिले थे तब भी यही चर्चा हुई थी कि उस टेस्ट में हमारी गेंदबाजी में ऐसा क्या हुआ था, जो श्रीलंका ने इतना बड़ा स्कोर खड़ा कर लिया था।हम दो तीन दिन तक मशीन की तरह गेंद डालते रहे और वे मशीन की तरह रन बनाते रहे। पिच भी फ्लैट थी, जिसमे गेंदबाज़ों के लिए कोई मदद नही थी। उस पारी में श्रीलंकाई बल्लेबाज बहुत अच्छा क्रिकेट खेल रहे थे। मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि वह हम गेंदबाज़ों के लिए याद रखने लायक मैच बिल्कुल भी नही था।
प्रश्न-कराची के ऐतिहासिक एकदिवसीय में सकलेन मुश्ताक की गेंद पर आपने जो छक्का लगाकर मैच जिताया था, वह काफी रोचक अनुभव होगा। उसके बारे में कुछ बताएं।
उत्तर- वह सीरीज का दूसरा मैच था। पहला मैच हम हार चुके थे और तीन मैचों की सीरीज में बने रहने के लिए किसी भी हाल में हमे यह मैच जीतना था। पाकिस्तान के 266 रनों का पीछा करते हुए गांगुली और कांबली ने एक अच्छी पार्टनरशिप लगाई थी। उसके बाद सबा करीम और रोबिन सिंह मैच को फिनिशिंग मोड में ले आये थे। सबा के आउट होने के बाद मैं बल्लेबाजी करने गया। इससे पहले सचिन और विनोद कांबली मुझे पविलियन में लगातार यह बता रहे थे कि चौहान साहब (उस समय टीम के अधिकतर खिलाड़ी मुझे चौहान साहब ही कहते थे) वकार यूनुस और सकलेन को किस तरह से खेलना है।
मेरी एक आदत थी कि मैं बिना हेलमेट के बल्लेबाज़ी में उतरना ज्यादा पसंद करता था। टीम के सीनियर खिलाड़ी मुझे यह भी समझा रहे थे कि वकार के सामने आपको हेलमेट लगाकर उतरना चाहिए। जब मेरी बैटिंग आयी उस वक़्त टीम को आख़िरी ओवर में 8 रनों की जरूरत थी और स्ट्राइक मेरे पास थी। सामने सकलेन थे। मैं उनकी पहली ही गेंद पर क्रीज़ से आगे बढ़ा। गेंद फुलर लेंथ की थी, जिसे मैंने फुल टॉस में तब्दील करके मिड विकेट की ओर शॉट लगाया।
बहुत अच्छा कनेक्शन हुआ और गेंद सीधे बाउंडरी पार पहुँच गयी। आज भी यह पल मुझे रोमांचित करता है। यह एक अविस्मरणीय मैच था। उसके बाद सचिन, सौरव और टीम के कोच मदनलाल ओर सभी साथियों ने मुझे बधाई दी। मुझे यह नही पता था कि वह सिक्सर मुझे आज भी क्रिकेट प्रेमियों के दिलो दिमाग मे बनाए रखेगा और मुझे उसका प्यार मुझे मिलता रहेगा।
प्रश्न-भारत और पाकिस्तान के मैचों को आप किस तरह से देखते हैं?
उत्तर- यदि ईमानदारी से कहा जाए तो दोनों देशों के खिलाड़ियों पर मैच जीतने का एक अलग ही दबाव होता है। और यह दबाव हम पर बोर्ड या टीम की तरफ़ से नही रहता, बल्कि क्रिकेट प्रेमियों और हमारे चाहने वालों की तरफ से होता है। भारत-पाकिस्तान के बीच बहुत पहले से प्रतिद्वंदिता चली आ रही है। यह प्रतिद्वंदिता हमें उत्साहित भी करती है। क्रिकेट के खेल में कोई एक ही टीम जीत सकती है। दूसरी टीम हारेगी ही , इसलिए क्रिकेट प्रेमियों को इसे खेल भावना के तौर पर स्वीकार करना चाहिए।
प्रश्न-टीम इंडिया के वर्तमान हालात पर चर्चा करना चाहूंगा। पिछले कुछ समय से हमारे बल्लेबाज़ सामने वाली टीम के स्पिनरों के सामने असहज हो रहे हैं, परेशान हो रहे हैं। इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर- इस पर मैं यह कहना चाहूंगा कि गत कुछ समय से टी20 फॉरमेट और इसकी बहुत सी लीग आने से युवा क्रिकेटरो की बेसिक कोचिंग का तरीका बदला है। पहले के युवा क्रिकेटरों की बेसिक कोचिंग टेस्ट और एकदिवसीय मैचों के मुताबिक होती थी। अब फटाफट क्रिकेट में कामयाब होने की होड़ ने युवाओं में क्रिकेट को काफी प्रभावित किय है। उनका खेलने का तरीका भी बदल गया है। कोचिंग के तरीकों में भी बदलाव नजर आने लगा है। जिस खिलाड़ी ने सिर्फ टी20 फॉर्मेट को अपनाया है, उसका दूसरे फॉरमेट में सफल होना आसान नही रहा। जो खिलाड़ी अपना बेस मजबूत रखेगा वह सभी फॉरमेट में सफल होगा। इस पर मेरा सीधा कथन है कि कोई भी टेस्ट क्रिकेटर टी20 क्रिकेट आसानी से खेल सकता है, पर टी20 स्पेशलिस्ट आसानी से टेस्ट नही खेल सकता।
प्रश्न-आगामी वन डे विश्व कप जो इस बार अक्टूबर नवंबर में खेला जाएगा, उसमें डयू फैक्टर को देखते हुए टीम इंडिया का स्पिन गेंदबाजी कॉम्बिनेशन किस तरह से हो सकता है?
उत्तर- स्पिनरों को ज्यादा मेहनत करनी होगी और सबसे बड़ी बात जो मैं देखता हूँ कि आज के समय के स्पिनर मैदान के बाहर कोच पर बहुत निर्भर हैं। मैदान में कप्तान पर उनकी निर्भरता बढ़ जाती है। हमारे वक़्त कप्तान ने हमें छूट देते थे कि आप अपनी सोच और सामने वाले बल्लेबाज के खेल के हिसाब से अपनी प्लानिंग करें। इसी तरह इन्हें खुद की सोच बढ़ानी होगी। कुछ रचनात्मक करना होगा और उन्हें अपनी स्ट्रैटेजी बनानी होगी।
प्रश्न-ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध अगली टेस्ट सीरीज में हमारी टीम की स्ट्रेटजी किस तरह की होनी चाहिए, क्योंकि हमें वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाने के लिए 4 में से 3 टेस्ट जीतना जरूरी है?
उत्तर- टीम इंडिया को ध्यान रखना होगा कि ऑस्ट्रेलियाई टीम इस सीरीज में पूरी तैयारी के साथ आएगी। उनके पास अच्छे बल्लेबाज,अच्छे तेज़ गेंदबाज हैं। नाथन लायन सरीखे श्रेष्ठ ऑफ स्पिनर भी है हमारे बल्लेबाज़ों को काफी दमखम दिखाना होगा। यहां सबसे बडी जिम्मेदारी कोच राहुल द्रविड़ पर होगी। जहाँ तक मैं उनको जानता हूँ, वे पूरी तरह से टीम इंडिया को इस सीरीज के लिए तैयार करेंगे ।
प्रश्न-आज के तेज रफ्तार क्रिकेटिंग दौर में नवोदित बच्चो को और युवाओं को क्या संदेश देना चाहते है?
उत्तर- सबसे पहले तो युवाओं को ये तय करना है कि वे क्या करना चाहते हैं। क्या वे क्रिकेट खेलना चाहते है या सिर्फ टी20 फॉर्मेट में फोकस करना चाहते हैं। साथ ही कोच और संबंधित क्रिकेट संघ का मैनेजमेंट क्या चाहता है, यह जानना भी बहुत महत्वपूर्ण है। मेरा यही कहना है कि क्रिकेट खेलो और अपना बेस मजबूत करो उसके बाद सभी फॉरमेट में सफल हो सकते हैं।
प्रश्न-आगामी 21 जनवरी को छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहला एकदिवसीय अंतराष्ट्रीय मैच रायपुर के शहीद वीर नारायण सिंह क्रिकेट स्टेडियम में होने जा रहा है। इसे आप किस तरह देखते है?
उत्तर- बहुत गर्व और खुशी की बात है कि इतनी बड़े आयोजन की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ को मिली है। इस जिम्मेदारी को आगे लगातार निभाने के लिए बहुत प्लानिंग करनी होगी। मैं पूरे छत्तीसगढ़ वासियों और छत्तीसगढ़ राज्य क्रिकेट संघ को इसके लिए बधाई देना चाहूंगा कि गत 20 वर्षों से राज्य में क्रिकेट को आगे बढ़ाने के लिए जो मेहनत हुई है, उसी मेहनत का यह सकारात्मक परिणाम हमे मिला है। छत्तीसगढ़ के जो बच्चे और बच्चियां जो क्रिकेट में आगे जाना चाहते हैं, यह आयोजन उनके लिए भी मील का पत्थर साबित होगा। अभी महिला आईपीएल की भी शुरुआत हो रही है, जिससे महिला क्रिकेटरों के लिए भी आगे बढ़ने के लिए बहुत अधिक रास्ते बनेंगे। इसी के साथ मैं इस नववर्ष में टीम इंडिया को शुभकामनाएं देना चाहता हूँ कि यह वर्ष उनके लिए बहुत अच्छा और ऐतिहासिक साबित हो।