Provocative Statement : जब भी कोई चुनाव पास आता है बड़बोले नेताओं की जुबान बेलगाम हो जाती है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर वहां की एक क्षेत्रीय पार्टी के नेता ओम प्रकाश राजधर ने अत्यंत भड़काऊ बयान दिया है। ओम प्रकाश राजधर की पार्टी पहले भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल थी लेकिन इस बार ओम प्रकाश राजधर ने भाजपा का साथ छोड़ कर ओवैसी की पार्टी के साथ गठबंधन किया है। इसके बाद से वे लगातार भाजपा के खिलाफ विवादास्पद बयानबाजी कर रहे है।
इस बार तो उन्होने सारी हदें ही पार कर डाली, उन्होने कहा है कि यदि कोई भाजपा नेता वोट मांगने जाएगा तो अपने पावों पर चलकर वापस नहीं आएगा। उन्होने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को इस बात के लिए उकसाया है कि वे भाजपा नेताओं को पीटें। निश्चित रूप से उनका इस तरह का भड़काऊ बयान निंदनीय है। राजनीति में एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाना तो चलता है लेकिन प्रतिद्वंदी पार्टी पर हमले के लिए उकसाना और लोगों को हिंसा के लिए प्रेरित करना कतई उचित नहीं है।
इस तरह के भड़काऊ बयान (Provocative Statement) देने वाले नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए लेकिन दिक्कत तो यह है कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे। चुनाव आयोग भी बोल वचन करने वाले नेताओं को सिर्फ चेतावनी देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है। जहां तक पार्टी आलाकमान की बात है तो वह भी ऐसे बयानवीर नेताओं को समझाईश देकर बख्श देते है।
यही वजह कि विवादास्पद बयानबाजी और बड़बोले नेताओं की बदजुबानी बदस्तूर जारी है। अभी तो उत्तर प्रदेश सहित आधा दर्जन राज्यों के विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती ही शुरू हुई है। जैसे जैसे चुनाव नजदीक आएंगे वैसे वैसे नेताओं की बदजुबानी भी बढ़ती जाएगी।
इस मामले में कोई भी पार्टी दुध की धुली नहीं है। हर पार्टी में ऐसे कुछ बयानवीर(Provocative Statement) नेता होते है जो चुनाव के दौरान बदजुबानी करना ही अपना दायित्व समझते है। ऐसे नेताओं की जुबान पर लगाम लगाने की सख्त जरूरत है ताकि माहौल खराब न हो और स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न हो सके। इसके लिए चुनाव आयोग को ही कड़े कदम उठाने होंगे। जबतक ऐसे बदजुबान नेताओं के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्म कार्यवाही नहीं होगी ये विवादास्पद बयानबाजी करने से बाज नहीं आएंगे।