Private Hospital : कोरोनाकाल में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के उपचार के नाम पर निजी अस्पतालों और नर्सिग होमों ने लाखों के बिल बनाकर मरीजों से मनमानी रकम ऐंठी थी। लूट-खसोट करने वाले ऐसे अस्पतालों के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। गौरतलब है कि कोरोनाकाल में देशभर में मरीजों को उपचार के लिए इधर-उधर भटकने की नौबत आ गई थी।
निजी अस्पतालों (Private Hospital) में बैड की कमी और ऑक्सीजन की किल्लत के चलते मरीजों के परिजनों का हाल बेहाल हो गया था। ऐसे मरीजों की मजबूरी का फायदा उठातेे हुए कई नीजी अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार के नाम पर मोटी रकम वसूली थी। मरता क्या नहीं करता की तर्ज पर मरीजों के परिजनों ने इन अस्पताल वालों को मुहमांगी फीस अदा की थी।
अब इस तरह के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई है जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्रिय परिवार कल्याण और स्वास्थ्य मंत्रालय को नोटिस जारी कर निर्देशित किया है कि यह कोरोना मरीजों के उपचार के लिए निजी अस्पतालों द्वारा बनाए गए बिलों की आडिट और स्कूटनी के लिए तंत्र विकसित करें।
यदि ऐसा होता है तो जिन निजी अस्पतालों (Private Hospital) ने कोरोनाकाल में मरीजों को दोनों हाथों से लूटा था उनके खिलाफ अब कड़ी कार्यवाही होगी। दरअसल निजी अस्पतालों और नर्सिंग होमों में मरीजों के साथ लूटखसोट आम बात बन गई है। इन अस्पतालों में मरीजों की विभिन्न बिमारियों की जांच के नाम पर हजारों रूपए वसूले जाते है वहीं इनके खुद के मेडिकल स्टोर होते है जहां दवाओं के दाम भी मनमाने रूप से वसूल किए जाते है।
मामूली से मामूली बीमारी पर भी हजारों लाखों का खर्च आ जाता है, ऐसे लूटेरे नर्सिंग होमों और निजी अस्पतालों के खिलाफ सरकार कोई कार्यवाही नहीं करती। इसलिए यह आवश्यक है कि इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट दखल दें और इस लूटखसोट पर रोक लगाएं।