Politics on Ayodhya incident : अयोध्या में समाजवादी पार्टी के एक स्थानीय नेता पर 12 वर्षीय बालिका के साथ अनाचार की घटना को लेकर हो रही सियासत शर्मनाक है। इस घटना के खुलासे के बाद उत्तरप्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने आरोपी को न सिर्फ गिरफ्तार करा दिया है।
बल्कि उसके खिलाफ बुलडोजर की कार्यवाही भी की जा रही है। योगी सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उस इलाके की पुलिस चौकी के पूरे स्टाफ को भी निलंबित कर दिया है। सरकार की इस कार्यवाही का समाजवादी पार्टी के लोग विरोध कर रहे हैं।
क्योंकि आरोपी फैजाबाद के सांसद का बेहद करीबी है इसलिए समाजवादी पार्टी सहित आईएनडीआईए में शामिल अन्य दलों के नेता चुप्पी साध कर बैठे हुए हैं। जबकि अस्पताल में भर्ती पीडि़ता को केस वापस लेने के लिए समाजवादी पार्टी के ही कुछ नेता धमकी चमकी दे रहे हैंं।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा फैजाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद पीडि़त बालिका के डीएनए टेस्ट की मांग उठा रहे हैं। ऐसी मांग करके वे आरोपी के बचाव का अप्रत्यक्ष रूप से प्रयास कर रहे हैं।
समाजवादी पार्टी के ही एक अन्य नेता और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव ने तो और एक कदम आगे बढ़ते हुए नार्को टेस्ट की भी मांग उठा दी है। यह वही समाजवादी पार्टी है। जिसके संस्थापक रहे स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव ने कभी अनाचार की ऐसी घटनाओं को लेकर यह विवादास्पद बयान दिया था कि लड़के हैं लड़कों से गलतियां हो जाती हैं।
बहरहाल अयोध्या (Politics on Ayodhya incident ) की इस घटना ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। और इस घटना को लेकर की जा रही राजनीति से लोगों का सिर शर्म से झुक रहा है।
पीडि़त बालिका को न्याय दिलाने की मांग करने की जगह आरोपी को बचाने के लिए घृणित हथकंडा अपनाया जा रहा है। जो घोर निंदनीय कृत्य है। वैसे उत्तप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीडि़त परिवार को आश्वासन दिया है कि पीडि़त बालिका को न्याय मिलेगा और आरोपी के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
जिसके खिलाफ पाक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपी के अवैध निर्माणों के खिलाफ बुलडोजर की कार्यवाही भी की जा रही है। पीडि़त की मां ने तो मुख्यमंत्री योगी के सामने गुहार लगाई है कि आरोपी को फांसी की सजा दी जाए।
वास्तव में नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के आरोपियों को फांसी की सजा का ही प्रावधान होना चाहिए। इसके साथ ही ऐसे मामलों की सुनवाई फास्ट टै्रक कोर्ट में की जानी चाहिए।
ताकि जल्द से जल्द ऐसे मामलों में फैसला आए और ऐसे ददिंदों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाए। जब तक ऐसे अपराधियों में कानून का खौफ पैदा नहीं होगा तब तक ऐसी घटनाओं पर प्रभावी अंकुश नहीं लग पाएगा।