Playing with faith: विश्व के सबसे धनी मंदिर तिरुपति बालाजी में प्रसाद में जानवरों की चर्बी और मछली का तेल मिलाए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है।
आस्था के साथ यह खिलवाड़ वाकई गहन चिंता का विषय है। इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ जल्द से जल्द और कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी ही चाहिए।
ताकि फिर भविष्य में कोई भी व्यक्ति या संस्थान लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की जुर्रत न कर सकें। आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्राबाबू नायडू ने तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के रूप में दिए जाने वाले लड्डुओं में उपयोग होने वाली घी के बारे में यह खुलासा किया है
कि वह घी जानवरों की चर्बी और मछली तेल के मिश्रण से बनाई जाती रही है। उनका आरोप है कि आंध्रप्रदेश की पूर्ववर्ती जगन मोहन रेड्डी के कार्यकाल के दौरान प्रसाद में मिलावट का यह गोरखधंधा शुरू किया गया था।
उन्होंने आरोप लगाया है कि जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार ने हिंदुओं के पवित्र धार्मिक स्थल तिरुपति मंदिर को भी नहीं बख्शा है। वहां बनाए जाने वाले लड्डुओं में नकली घी की जांच लैब से कराई गई है।
जिसमें जानवरों की चर्बी और मछली तेल की मिलावट किए जाने की पुष्टि हुई है। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने इन आरोपों को निराधार बताया है और इसके खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
केन्द्र सरकार ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और कहा है कि भारतीय खाद्य संरक्षण एवं मानक प्राधिकरण इसकी पूरी जांच करेगा और रिपोर्ट आने के बाद जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाएगी।
गौरतलब है कि तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रतिदिन साढ़े तीन लाख लड्डु बनाए जाते हैं जो प्रसाद के रूप में मंदिर परिसर में ही बेचे जाते हैं। इन लड्डुओं के प्रसाद की बिक्री से तिरुपति तिरुमला देवस्थलम ट्रस्ट को सालाना छह सौ करोड़ रुपए की आय होती है।
इसके बावजूद इस प्रसाद में यदि चर्बी और मछली तेल से बने घी का उपयोग किया जाता है तो यह अक्षम्य अपराध है। इस पवित्र मंदिर से देश के करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है।
बारहोंं महीनेे वहां प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु तिरुपति बालाजी के दर्शन करने जाते हैं और ये सभी श्रद्धालु लड्डुओं का प्रसाद अनिवार्य रूप से खरीदते हैं।
इस मंदिर में प्रसाद वितरण की यह परंपरा पिछले तीन सौ सालों से चली आ रही है। इस प्रसाद में समय -समय पर परिर्वतन भी किया गया है। पहले पहल वहां प्रसाद के रूप में शुद्ध घी से बनी हुई बूंदी दी जाती थी।
बाद में बूंदी के लड्डू दिए जाने लगे और उसमें क्रमश: मेवे भी मिलाए जाने लगे। बहरहाल प्रसाद में मिलावट के इस मामले का खुलासा होने के बाद देश में बवाल खड़ा हो गया है।
साधु संतों ने भी इस मिलावट को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और सरकार से मांग की है कि इस पूरी घटना की सीबीआई जांच कराई जानी चाहिए और लोगों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए।
तिरुपति बालाजी की इस घटना के बाद राजस्थान सरकार ने वहां के सभी प्रमुख मंदिरों में वितरित किए जाने वाले प्रसाद की गुणवत्ता की जांच कराने के आदेश दे दिए हैं।
अन्य प्रदेशों की सरकारोंं की भी राजस्थान सरकार के निर्णय का अनुसरण करना चाहिए और देश के सभी प्रसिद्ध मंदिरों में वितरित होने वाले प्रसाद की जांच करानी चाहिए क्योंकि शुद्ध घी में मिलावट की खबरें पहले भी सामने आती रही है जानवरों की चर्बी से घी बनाने वाले कारखानों पर भी छापे पड़ते रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पूरे देश में मिलावटी दूध, पनीर, खोवा और घी का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। जिस तरह त्योहारी सीजन में मिठाइयों की मांग बढऩे पर मिलावटखोरी बढ़ जाती है।
उसी तरह प्रसिद्ध मंदिरों में जहां प्रतिदिन लाखों दर्शनार्थी जाते हों वहां के प्रसाद में मिलावट की आशंका को नकारा नहीं जा सकता। इसे रोकने के लिए कड़ेे कदम उठाना निहायत जरूरी है।