नई दिल्ली। Petrol-Diesel : वैश्विक तेल की कीमतों में और बढ़ोतरी होती है तो मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए भारत को पेट्रोल और डीजल पर टैक्स में और कटौती करने की जरूरत पड़ेगी।
अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक हालांकि इससे राजस्व पर उल्टा असर पड़ेगा। अगर साल के अंत तक कच्चा तेल 105 डॉलर प्रति बैरल हो जाता है तो सरकार उत्पाद शुल्क में और कमी नहीं कर पाएगी। रूस और यूक्रेन के बीच तनाव के बीच ब्रेंट क्रूड 90 डॉलर प्रति बैरल के आसपास मंडरा रहा है।
100 डॉलर पहुंच जाएगा कच्चा तेल
गोल्डमैन सहित वॉल स्ट्रीट बैंकों के एक समूह ने भविष्यवाणी की है कि वैश्विक बाजार में मजबूती के साथ इस साल तेल 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाएगा। फर्म ने यह चेतावनी दी कि वित्तीय सुदृढ़ीकरण की दिशा में कोई भी अचानक और तेज कदम भारतीय अर्थव्यवस्था में शुरुआती और असमान पुनरुद्धार को थाम सकता है।
ब्रोकरेज फर्म ने बयान में कहा कि बजट में समग्र मांग, खासतौर से ग्रामीण खपत बढ़ाने पर जोर देना चाहिए और बुनियादी ढांचे में अधिक निवेश करना चाहिए।
गोल्डमैन सैक्स (Petrol-Diesel) ने बजट-पूर्व टिप्पणी में कहा कि महामारी की एक के बाद एक आई लहरों ने मध्यम अवधि में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले सरकारी कर्ज को कम करना मुश्किल कर दिया है। पोर्ट में राजकोषीय घाटे में लगातार कमी करने का सुझाव दिया गया है और इसे वित्त वर्ष 2022-23 में 0.5 प्रतिशत घटाने और क्रमिक रूप से घटाकर वित्त वर्ष 2025-26 तक 4.5 प्रतिशत तक लाने की बात कही गई है।
कोविड महामारी से संबंधित खर्चों के लिए आवंटन कम होगा
ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि भले ही कोविड महामारी (Petrol-Diesel) से संबंधित खर्चों के लिए आवंटन कम हो जाएगा, लेकिन सरकार को कल्याणकारी खर्च जारी रखना होगा और साथ ही पूंजीगत व्यय में 12 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है।