Peaceful elections in Jammu and Kashmir: जम्मू कश्मीर में एक दशक बाद हुए विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण होना एक बड़ी उपलब्धि है। 370 के खात्में के बाद हुए इस चुनाव में जम्मू कश्मीर के लोगों ने जिस उत्साह के साथ मतदान में हिस्सा लिया और वोटिंग का नया रिकॉर्ड बनाया वह इस बात का प्रमाण है कि वहां लोकतंत्र की जीत हुई है।
भले ही जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेन्स और कांग्रेस के गठबंधन ने पूर्ण बहुमत प्राप्त कर लिया है। लेकिन वहां भाजपा ने भी 29 सीटें जीतकर और जम्मू कश्मीर की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर नया इतिहास रच दिया है।
बेशक भाजपा को कम सीटें मिली है लेकिन उसने जम्मू कश्मीर में सबसे अधिक 25 प्रतिशत वोट हासिल किए हंै और अब वह जम्मू कश्मीर विधानसभा में सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाएगी।
जम्मू कश्मीर के भावी मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपनी पार्टी को मिली जीत का श्रेय कश्मीरियों को देते हुए कहा है कि उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना उनकी बड़ी जिम्मेदारी है। जिसे वे पूरी ईमानदारी से निभाएंगे।
उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा है कि जम्मू कश्मीर के विकास के लिए केन्द्र सरकार के साथ तालमेल बिठाना बेहद जरूरी है। उनका यह बयान यह दर्शाता है कि वे नई दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरह केन्द्र सरकार से टकराव मोल नहीं लेंगे।
यदि वे केन्द्र सरकार से तालमेल बिठाएंगे तो निश्चित रूप से जम्मू कश्मीर में विकास को गति मिलेगी और उनकी सरकार जम्मू कश्मीर के लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने में सफल होगी।
केन्द्र सरकार के साथ तालमेल बिठाने का बयान देने के साथ ही उमर अब्दुल्ला ने इसका पहला संकेत भी दे दिया है। उन्होंने कहा है कि पांच मनोनीत विधायक के मुद्दे को लेकर वे कोई विवाद खड़ा नहीं करेंंगे। यह जम्मू कश्मीर के लिए शुभ संकेत है।