Pakistan will not back down like this: पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकवादियों ने धर्म पूछकर हिन्दूओं की हत्या कर पूरे भारत में आक्रोश फैला दिया था, नतीजतन भारत सरकार ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए पहले उसके खिलाफ सैन्य कार्रवाई की और फिर ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान के आतंकी अड्डों को नेस्तनाबूत कर दिया। भारत की इस कार्रवाई से बौखलाकर पाकिस्तान ने संघर्ष विराम का उल्लघंन कर कश्मीर के निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाया। इसके बाद भारत ने ड्रोन से हमला कर पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचाया।
भारतीय सेना की कड़ी कार्रवाई को पिद्दी पाकिस्तान चार दिन भी नहीं झेल पाया और उसने भारत को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर गुहार लगानी शुरू कर दी। संयुक्त राष्ट्र संघ और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड टं्रप के अनुरोध पर भारत संघर्ष विराम के लिए सहमत हो गया। किन्तु भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि यदि पाकिस्तान ने फिर किसी आतंकवादी घटना को अंजाम दिया तो भारत ऐसे आतंकी हमले को युद्ध मानेगा और पाकिस्तान को इसका दुष्परिणाम भुगतना पड़ेगा। इसी के साथ भारत ने यह भी साफ कर दिया कि सिंधु जल समझौता निलंबित ही रहेगा। कुल मिलाकर भारत अपनी शर्तों पर संघर्ष विराम के लिए राजी हुआ है।
किन्तु संघर्ष विराम की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान ने अपनी जात दिखा दी और संघर्ष विराम का उल्लंघन कर नियंत्रण रेखा पर ड्रोन से हमला करने की कोशिश की। जिसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया। पाकिस्तान ने एक बार फिर दोगलापन दिखाया है। जिससे यह बात अब दीवार पर लिखी इबारत की तरह साफ हो गई है कि वह अपने नापाक इरादों से बाज आने वाला नहीं है। पाकिस्तान कुत्ते की वह दुम है, जो 20 साल तक भी पोगली में डालकर रखी जाए तब भी वह सीधी नहीं होती।
बहरहाल, भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम पर 12 मई को अंतिम फैसला होगा और उसी के बाद स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। पाकिस्तान यदि अपनी कायराना करतूतों से बाज नहीं आएगा तो भारत उसके खिलाफ और कड़ी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगा। संघर्ष विराम की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में सीमा की स्थिति समीक्षा की गई है और एक बार फिर भारतीय सेना को यह खुली छूट दी गई है कि वह पाकिस्तान की किसी भी हरकत का तत्काल मुंह तोड़ जवाब दे।
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कथित संघर्ष विराम को लेकर कुछ विपक्षी पार्टियों के नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साध रहे हैं कि उन्होंने पाकिस्तान को करारा सबक सिखाए बिना संघर्ष विराम पर अपनी सहमति दे दी है। विपक्ष के नेता पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को याद कर रहे हैं। जिन्होंने उन्होंने 1971 में पाकिस्तान के दो टूकड़े कर दिए थे। वे अमेरिका के दबाव के सामने नहीं झुकी थी और पाकिस्तान को ऐसा गहरा जख्म दिया था, जो पाकिस्तान की सात पुश्ते नहीं भूलेंगी।
यह सही है कि स्व. इंदिरा गांधी आयरन लेडी थी लेकिन उनके साथ मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना करना और उन्हें कमजोर प्रधानमंत्री साबित करना कतई उचित नहीं है। 1971 और 2025 के बीच परिस्थितियां बहुत बदल चुकी है। उस समय पाकिस्तान परमाणु शक्ति संपन्न देश नहीं था। किन्तु आज पाकिस्तान पास भी परमाणु बम है और यदि भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति तो पाकिस्तान भी विश्व की 12वीं सबसे बड़ी सैन्य शक्ति बन चुका है। ऐसे में यदि भारत और पाकिस्तान के बीच जंग हो जाती है तो भले ही पाकिस्तान का वजूद खत्म हो जाएगा लेकिन भारत को भी इसका नुकसान उठाना पड़ेगा।
इस समय भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और आगामी पांच सालों के भीतर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवथा बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। ऐसे में यदि जंग हो जाती है तो भारत की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी। इन सब स्थितियों को देखते हुए यदि भारत संघर्ष विराम के लिए सहमत हुआ तो इसे भारत की कमजोरी नहीं मानना चाहिए। वैसे भी भारत जंग की तैयारी कर चुका है यह तो पाकिस्तान ही है जो भारतीय सेना द्वारा की गई सैन्य कार्रवाई से घबराकर संघर्ष विराम की फरियाद करने लगा था।
भारत ने जो भी निर्णय लिया है उसका देशवासियों को स्वागत करना चाहिए। भारत ने पहलगाम में हुआ आतंकी हमले का बदला ब्याज सहित ले लिया है और यदि अभी भी पाकिस्तान सबक सिखेगा तो भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि उसका ऑपरेशन सिंदूर जारी रहेगा। भारत को यदि बात अच्छे से पता है कि पाकिस्तान लातों का भूत है और वह बातों से नहीं मानेगा। पाकिस्तान ने संघर्ष विराम तोड़कर इस बात को साबित भी कर दिया है। भारत ने संघर्ष विराम पर सहमति जरूर दी है लेकिन वह पाकिस्तान को उसी की भाषा में सबक सिखाने के लिए अभी भी तैयार बैठा हुआ है।