Editorial: बिहार विधानसभा चुनाव में असद्दुदीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने फिर एक बार कमाल करके दिखा दिया। पिछले विधानसभा चुनाव में ओवैसी पार्टी ने मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर शानदार जीत दर्ज की थी। यह बात अलग है कि बाद में एआईएमआईएम के ये विधायक बिक गये और राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गयेे थे।
इसके बावजूद सीमांचल की उन्ही पांच सीटों बहादुरगंज, बैसी, अमौर, जोखीहार और कोचा धमन से ओवैसी की पार्टी ने फिर से जीत हासिल की और इस बार तो उसने पिछले चुनाव के मुकाबले ज्यादा बड़े अंतर से विरोधी को हराया। एक अन्य सीट पर एआईएमआईएम का प्रत्याशी सिर्फ 700 सीटों से हार गया। अन्यथा ओवैसी की पार्टी छह सीटों पर जीत दर्ज कर नया इतिहास रच देती।
यही नहीं बल्कि जिन अन्य बीस सीटों पर एआईएमआईएम ने चुनाव लडा था वहां भी उसने सम्मानजनक वोट पायें और महागठबंधन के प्रत्याशी को पराजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान ओवैसी ने महागठबंधन में शामिल होने की पेशकश की थी और यह भी कहा था कि उन्हें सिर्फ पांच सीटें दी जाये और यदि महागठबंधन की सरकार बनती है
तो एआईएमआईएम को कोई मंत्री पद भी न दिया जाये लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस के विरोध के चलते ओवैसी की पार्टी को महगठबंधन में शामिल नहीं किया गया और ओवैसी ने एकला चलो रे की नीति अपनाई जो सफल रही और इस बार भी उनकी पार्टी पांच विधानसभा सीटें भारी बहुमत से जितने में सफल हो गई। ओवैसी की ताकत को कम करके आंकना भी महागठबंधन की करारी शिकस्त का एक बड़ा कारण बना है।

