- केंद्र सरकार तुर्की व मिस्र से खरीद रही 17 हजार मीट्रिक टन प्याज, लेकिन आने में अभी वक्त
- एशिया की सबसे बड़ी लासलगांव प्याज मंडी में फसल को मिला रिकॉर्ड 9352 रु. क्विंटल दाम
रायपुर/नाशिक/नवप्रदेश। देश में प्याज (onion) के आसमान छूती कीमतों (price) को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार (central government) तुर्की व मिस्र से 17 हजार मीट्रिक टन प्याज का आयात (import) करने जा रही है।
लेकिन इस प्याज (onion) के देश में पहुंचने से पहले ही प्याज के दाम (price) और बढऩे के आसार (to go up) हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक देश में ये प्याज दिसंंबर के अंतिम व जनवरी के पहले हफ्ते में ही देश में पहुंचेगी।
इस बीच घरेलू बाजार में प्याज की कीमतों में आया उबाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार को महाराष्ट्र के नाशिक स्थित एशिया की सबसे बड़ी लासलगांव प्याज मंडी में किसानों को अच्छे किस्म की लाल प्याज का भाव 9352 रुपए प्रति क्विंटल मिला।
यह मंडी के इतिहास में प्याज उत्पादकों को मिला अब तक का सर्वाधिक ऊंचा दाम है। इससे साफ है कि नाशिक से देश के अन्य भागों में सप्लाई होने वाली प्याज आयातित प्याज के आने से पहले क्या भाव बिकेगी। वर्तमान में ही रायपुर समेत देश के कई शहरों में अच्छे किस्म की प्याज 100 रुपए प्रति किलो या इससे ऊपर बिक रही है। यानी दाम (price) इससे ऊपर जाना (to go up) तय है।
अब लेट खरीफ की प्याज आने पर ही बदलेंगे हालात
आयातित प्याज (imported onion) के देश में आने पर लोगों को मौजूदा कीमत से कुछ कम पर प्याज तो मिल सकती है, लेकिन आम नागरिकों के बजट के मुताबिक दाम पर प्याज तभी मिल सकेगी जब मंडी में लेट खरीफ की प्याज आएगी। इसके लिए अभी कुछ दिन बचे हैं। लेट खरीफ की प्याज आने पर हालात बदल सकेंगे। बहरहाल अभी लासलगांव मेंं उन किसानों की खुशी देखते ही बन रही है, जिनके पास प्याज है और जो मंडी में लाकर उसे बेच रहे हैं।
मांग की तुलना में कम आपूर्ति का ऐसे समझें गणित
एशिया की सबसे बड़ी लासलगांव प्याज मंडी में पिछले कुछ वर्षों से नवंबर माह में औसतन दो लाख क्विंटल प्याज की आवक होती रही है। लेकिन इस वर्ष यहां नवंबर माह में सिर्फ 70 से 75 हजार क्विंटल प्याज ही आ सकी है। लिहाजा मंडी में जब तक नई प्याज की पर्याप्त सप्लाई शुरू नहीं होती तब तक प्याज की कीमतों में अपेक्षित राहत मिलना मुश्किल है।
गुरुवार को ये रहे भाव
- मुख्य मंडी में करीब 411 वाहनों से 4274 क्विंटल लाल प्याज आई।
- न्यूनतम दाम 2500 रुपए प्रति क्विंटल।
- औसतन 7000 रु. प्रति क्विंटल मिला भाव।
- अधिकतम 9352 रुपए प्रति क्विंटल में बिकी प्याज।
किसान आयात के खिलाफ, ये गिनाए कारण
- अधिकतर फसल हुई खराब, बची को तो मिलने दो दाम
प्याज उत्पादक किसान सरकार (central government) द्वारा प्याज आयात (import) करने के फैसले का विरोध कर रहे हैं। एक किसान निवृति न्याहारकर का कहना है कि लाल प्याज की अधिकतर फसल बेमौसम बारिश से खराब हो चुकी है। अब बची खुची फसल को अच्छा भाव मिल रहा है तो सरकार ने प्याज आयात का फैसला लिया है। लाल प्याज की फसल लेने में प्रति एकड़ 40 से 50 हजार रुपये खर्च आता है। निवृत्ति ने कहा कि किसान परिवार की मेहनत पकड़े तो यह खर्च 80 हजार रुपये प्रति एकड़ तक जाता है। ऐसे में प्यात आयात करने पर भाव कम होंगे और किसानों को नुकसान होगा।
- एक साथ आएगी देशी व विदेशी प्याज
किसानों की चिंता इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि विदेशी प्याज की आवक दिसंबर के अंतिम व जनवरी के पहले हफ्ते में होगी। और प्याज उत्पादक किसानों का कहना है कि इसी अवधि में देशी लाल प्याज भी मंडी में बड़े पैमान पर आएगी, जिसस प्याज बाजार बुरी तरह प्रभावित होगा। दाम तेजी से नीचे आएंगे और किसानों को नुकसान होगा।
फिलहाल दाम कम होने के संकेत नहीं
मौजूदा हालातों को देखते हुए प्याज के दामों में कमी आना मुश्किल दिखाई दे रहा है। लासलगांव मंडी का आलम देखकर तो यही लगता है कि दामों मेंं और इजाफा होगा। केंद्र सरकार कोई बड़ा फैसला ले तो बात अलग है। रायपुर में फूड एंड ड्रग विभाग के निर्देशों का पालन करते हुए थोक व्यापारी थोक भाव पर ही खुद्रा खरीदारों को प्याज बेच रहे हैं। भनपुरी मंडी समेत शहर में सात जगह ऐसे स्टॉल लगाए गए हैं, जहां प्याज 90-100 रुपए किलो के बीच प्याज मिल रही है। प्याज की रिटेल ग्राहकी काफी हद तक प्रभावित हुई, जिससे व्यापारी भी परेशान हैं।
– अजय अग्रवाल, अध्यक्ष, आलू-प्याज असोसिएशन, भनपुरी मंडी, रायपुर