New state Chhattisgarh on the path of progress: नवप्रदेश छत्तीसगढ़ ने अपनी स्थापना के चौबीस साल कर पच्चीसवें साल में प्रवेश कर लिया है। धान का कटोरा कहा जाने वाला छत्तीसगढ़ अब कृषि के साथ ही औद्योगिक विकास में भी नित नए प्रतिमान गढ़ रहा है।
छत्तीसगढ़ में प्रचूर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन हैं। जिसका समुचित दोहन कर छत्तीसगढ़ प्रगति पथ पर तेजी से अग्रसर हो रहा है। आज से ढाई दशक पूर्व जब छत्तीसगढ़ अविभाजित मध्यप्रदेश का हिस्सा हुआ करता था तब इसके विकास का मार्ग अवरूद्ध था।
अविभाजित मध्यप्रदेश को अपने कुल राजस्व का एक तिहाई से ज्यादा हिस्सा छत्तीसगढ़ से ही प्राप्त होता था लेकिन छत्तीसगढ़ के विकास पर नाममात्र ही खर्च किया जाता था।
उस समय तो छत्तीसगढ़ को चारागाह भी कहा जाता था। बहरहाल नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद छत्तीसगढ़ ने विकास की नई बुलंदियों को छुना शुरू कर दिया है।
बीते चौबीस सालों में नवप्रदेश छत्तीसगढ़ ने हर क्षेत्र में तरक्की की नई इबारत लिखी है। छत्तीसगढ़ का चहुंमुखी विकास निरंतर हो रहा है। अब विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की सरकार नए संकल्पों के साथ अपनी विरासत को सहेजते हुए नवप्रदेश छत्तीसगढ़ को देश के अग्रणी राज्यों की सूची में शामिल करने की दिशा में ठोस कदम आगे बढ़ा रही है।
इस बारे में छत्तीसगढ़ केे राज्यपाल रमेन डेका ने छत्तीसगढ़ राज्योत्सव कार्यक्रम के मंच से अपने संबोधन में ठीक ही कहा है कि छत्तीसगढ़ के लिए एक ठोस धरातल निर्मित हुआ है।
आज के इस दौर में नवप्रदेश छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक रूप से भी एक विशिष्ट पहचान बनी है और इस सांस्कृतिक समृद्धि के लिए चहुंमुखी प्रयास किए जा रहे हैं। उनका यह कहना भी सही है कि प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के साथ ही हमें विकास का पैमाना भी तय करना होगा।
ताकि विकास की प्रक्रिया के दौरान प्राकृतिक संतुलन बना रहे। उनकी यह चिंता स्वाभाविक है। उम्मीद की जानी चाहिए कि साय सरकार इस बात का पूरा ध्यान रखेगी।