Netaji Subhash Chandra Bose : आजादी के सात दशकों के बाद स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने वाले इस देश के सच्चे सपूत और अखंड भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेताजी सुभाषचंद्र बोस के योगदान को अक्षूण्ण बनाएं रखने का सार्थक प्रयास होना स्वागतेय है।
नेताजी की १२५वीं जयंती पर नई दिल्ली के इंडिया गेट पर उनकी होलोग्राम मूर्ति लगाई गई जहां बहुत जल्द ग्रेनाईट से बनी नेताजी की विशाल प्रतिमा लगाई जाएगी। इस साल नेताजी (Netaji Subhash Chandra Bose) के जन्मदिन को पूरे देश ने पराक्रम दिवस के रूप में मनाया और नेताजी को श्रद्धु सुमन अर्पित किए।
नेताजी के जन्म दिन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके योगदान का पूण्य स्मरण करते हुए कहा कि इतिहास के पन्नों से देश के कई सपूतों के योगदान को कम करने या मिटाने की कोशिश की गई थी जिसे अब हम डंके की चोट पर सुधारेंगे। उन्होने पराक्रम दिवस पर आपदा प्रबंधन की दिशा में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को नेताजी की स्मृति में पुरस्कार भी प्रदान किए।
वास्तव में नेताजी सुभाष चंद्र बोस इस सम्मान के अधिकारी थे वह उन्हे सत्तर सालों बाद मिल रहा है। नेताजी ने देश की आजादी की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाई थी। उनका कहना था कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा। उनके इस आव्हान पर उस समय आजादी के दीवाने अंगे्रजों के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे।
नेताजी का यह भी कहना था कि मैं आजादी भीख में नहीं लूंगा बल्कि छीन कर लूंगा। नेताजी के इन ओजस्वी नारों से ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का हौसला बढ़ा था। अब जबकि नेताजी को और उनके योगदान को फिर से चिरस्थाई बनाने का प्रयास किया जा रहा है तो निश्वित रूप से नेताजी आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा के स्त्रोत बनेंगे।
उनकी स्मृति को अक्षूण्ण बनाएं रखने के लिए जो भी किया जाएं कम है। देश के निर्माणाधीन नए संसद भवन के परिसर में भी नेताजी की विशाल प्रतिमा स्थापित की जानी चाहिए जो नेताजी (Netaji Subhash Chandra Bose) को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। वैसे भी जब तक सूरज चांद रहेगा नेताजी का नाम रहेगा।