Neighboring Country Pakistan : पड़ौसी देश पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबान को बढ़ावा दिया और वहां तालिबान की सरकार बनाने के लिए हर संभव मदद मुहैया कराई थी। इसके पीछे पाकिस्तान की मंशा यही थी कि वह तालिबान को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करेगा क्योंकि पाकिस्तान अकेले तो भारत पर भारी पड़ ही नहीं सकता।
ऐसी स्थिति में यदि तालिबान उसके साथ हो जाए तो पाकिस्तान (Neighboring Country Pakistan) की ताकत बढ़ जाएगी किन्तु पाकिस्तान के नापाक इरादों पर तालिबान ने अफगानिस्तान में अपनी सरकार बनते ही पानी फेर दिया था। तालिबान ने पाकिस्तान के हाथों की कठपुतली बनने से इंकार कर दिया था और भारत के साथ अपने संबंध बेहतर बनाने की कवायद शु़रू कर दी थी।
कोरोना काल में जब अफगानिस्तान में भुखमरी के हालात निर्मित हो गए थे तो मानवता के आधार पर भारत ने ही मदद के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाए थे। कोरोना की वैक्सीन से लेकर अनाज भी अफगानिस्तान को भारत ने ही उपलब्ध कराया था। वैसे भी अफगानिस्तान के विकास में भारत ने भारी पूंजी निवेश कर रखा है। जाहिर है तालिबान को यह बात समझ में आ गई है कि पाकिस्तान के उकसावे में आकर भारत के साथ पंगा मोल लेना उसके हित में नहीं है। यही वजह है कि तालिबान ने पाकिस्तान से अपना संबंध एक तरह से खत्म ही कर लिया है।
बात यहीं तक सीमित नहीं रही अब तो तालिबान ने पाकिस्तान के खिलाफ एक छोटे सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान को सबक भी सिखा दिया है। तालिबान ने पाकिस्तानी सेना पर हमला कर पाकिस्तान के हुक्मरानों के छक्के छुड़ा दिए है। पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख इस घटना के बाद से कोई बयान भी नहीं दे पाए है। पाकिस्तान जो अपनी सेना पर घमंड करता है और भारत के साथ जंग में भारत को मुंहतोड़ जवाब देने की गीदड़ भभकी देता है उसकी सेना ने तालिबान के सामने घुटने टेककर यह साबित कर दिया है कि पाकिस्तानी सेना सिर्फ अपने घर पर ही शेर है जो पाकिस्तान में अपने नागरिकों पर ही जुल्म ढा सकती है।
किसी भी देश से जंग होने की स्थिति में उसे मुंह छुपाकर भागना पड़ा है। बहरहाल पाकिस्तान पर हुए तालिबानी हमले में चार लोगों की मौत हो गई है और दर्जनों घायल हो गए है। इस घटना के बाद से पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर तनाव बना हुआ है। देखना होगा कि पाकिस्तान तालिबान (Neighboring Country Pakistan) के खिलाफ सैन्य कार्यवाही का हौसला जुटा पाती है या नहीं।