योगेश कुमार गोयल। Negligence Omicron : देश में ओमिक्रॉन के लगातार बढ़ते मामलों से दहशत का माहौल बनने लगा है। लगभग तमाम विशेषज्ञ इसी की वजह से बढ़ रहे मामलों को देखते हुए फरवरी माह में तीसरी लहर की भविष्यवाणी करने लगे हैं। ऐसे में पहले से ही रोजी-रोटी के संकट से जूझ रहे करोड़ों लोगों को स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के साथ-साथ एक और लॉकडाउन लगने का डर अभी से सताने लगा है। दरअसल चंद दिनों में ही ओमिक्रॉन के देशभर में 500 से भी ज्यादा मरीज सामने आ चुके हैं और यह आंकड़ा प्रतिदिन तेजी से बढ़ रहा है।
इसी के चलते कुछ राज्यों द्वारा ‘नाइट कफ्र्यू’ लगाए जाने की शुरूआत हो चुकी है। हालांकि ओमिक्रॉन को लेकर सरकार द्वारा स्पष्ट का दिया गया है कि इसमें ऑक्सीजन की जरूरत कम ही है लेकिन जिस प्रकार कई देशों में कोरोना संक्रमण की रफ्तार बढ़ाने वाला कोरोना का ओमिक्रॉन वेरिएंट डेल्टा से ताकतवर रूप में सामने आ रहा है, उससे तीसरी लहर की भविष्यवाणियों को लेकर चिंता का माहौल बनना स्वाभाविक ही है। इन परिस्थितियों के मद्देनजर इससे निपटने के लिए समय रहते केन्द्र तथा राज्य सरकारों द्वारा प्रभावी उपाय किए जाने की सख्त आवश्यकता है।
24 नवम्बर 2021 को जहां ओमिक्रॉन का पहला मामला दक्षिण अफ्रीका में सामने आया था, वहीं भारत सहित पूरी दुनिया में केवल एक महीने के अंदर ही यह 110 से भी ज्यादा देशों में फैल चुका है और इस एक महीने में दुनियाभर में इस वेरिएंट के लाखों मामले सामने आ चुके हैं। ओमिक्रॉन फैलने की रफ्तार के आंकड़ों पर नजर डालें तो दक्षिण अफ्रीका में कोरोना संक्रमण के 95 फीसदी मामलों की प्रमुख वजह ओमिक्रॉन ही है। ब्रिटेन में जहां 29 नवम्बर तक ओमिक्रॉन के 0.17 फीसदी मामले सामने आ रहे थे, वहीं 23 दिसम्बर तक इसके 38 फीसदी मामले दर्ज किए गए।
यही हाल अमेरिका का भी है, जहां ओमिक्रॉन की वजह से संक्रमण दर में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है और 22 दिसम्बर तक हर चौथा मामला ओमिक्रॉन की वजह से ही सामने आ रहा है। भारत में भी यह संक्रमण फैलने की रफ्तार काफी तेज हो गई है। दुनियाभर में फैलते ओमिक्रॉन के कहर को लेकर चिंताजक स्थिति यह है कि इसमें अब तक कुल 53 म्यूटेशन हो चुके हैं और यह डेल्टा के मुकाबले बहुत तेजी से फैलता है। डेल्टा में कुल 18 और इसके स्पाइक प्रोटीन में दो म्यूटेशन हुए थे लेकिन ओमिक्रॉन के स्पाइक प्रोटीन में 32 म्यूटेशन हो चुके हैं जबकि इसके रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन में भी 10 म्यूटेशन हो चुके हैं। वायरस स्पाइक प्रोटीन के जरिये ही मानव शरीर में प्रवेश करता है।
लंदन के इंपीरियल कॉलेज के वायरोलॉजिस्ट डा. टोम पीकॉक के मुताबिक वायरस में जितने ज्यादा म्यूटेशन के जरिए वेरिएंट बनेगा, वह उतना ही अधिक प्रभावशाली होगा और ऐसा वेरिएंट हमें ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ओमिक्रोन को कई दिनों पहले ही ‘वेरिएंट ऑफ कंर्सन’ घोषित करते हुए कह चुका है कि तेजी से फैलने वाला यह वेरिएंट लोगों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है।
यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के मुख्य चिकित्सा सलाहकार डा. सुसान हॉपकिंस का कहना है कि कोरोना का यह वेरिएंट दुनियाभर में प्रमुख डेल्टा स्ट्रेन सहित अन्य किसी भी वेरिएंट के मुकाबले बदतर होने की क्षमता रखता है। विशेषज्ञों के अनुसार डेल्टा वेरिएंट की आर वैल्यू 6-7 थी अर्थात् एक व्यक्ति वायरस को 6-7 व्यक्तियों में फैला सकता है जबकि ओमिक्रॉन की आर वैल्यू डेल्टा के मुकाबले करीब छह गुना ज्यादा है, जिसका अर्थ है कि ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीज 35-45 लोगों में संक्रमण (Negligence Omicron) फैलाएगा।
भारत में ओमिक्रॉन का पहला मामला 2 दिसम्बर को सामने आया था और उसके बाद से मूल वायरस के मुकाबले तीन गुना से भी ज्यादा तेज रफ्तार से फैल रहा है। दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन का सबसे पहले पता लगाने वाली ‘साउथ अफ्रीकन मेडिकल एसोसिएशन’ की अध्यक्ष डा. एंजेलिक कोएत्जी का भारत के संदर्भ में कहना है कि कोरोना वायरस के इस नए वेरिएंट के कारण यहां संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी दिखेगी लेकिन मौजूदा टीकों से इस रोग को फैलने से रोकने में निश्चित ही मदद मिलेगी किन्तु टीकाकरण नहीं कराने वाले लोगों को शत-प्रतिशत खतरा है।
यही वजह है कि इस समय टीकाकरण पर बहुत ज्यादा जोर दिया जा रहा है और बहुत सारी सेवाओं में टीकाकरण प्रमाण पत्र को अनिवार्य किया जा रहा है। एंजेलिक कोएत्जी का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति का टीकाकरण हो चुका है या जो व्यक्ति पहले भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुका है, उससे संक्रमण कम लोगों को फैलेगा और टीकाकरण नहीं कराने वाले लोग वायरस को संभवत: शत-प्रतिशत फैलाएंगे।
डा. एंजेलिक कोएत्जी के मुताबिक ओमिक्रॉन उच्च संक्रमण दर के साथ तेजी से फैल रहा है, लेकिन अस्पतालों में गंभीर मामले अपेक्षाकृत कम हैं। यह बच्चों को भी संक्रमित कर रहा है और वे भी औसतन 5 से 6 दिन में ठीक हो रहे हैं लेकिन ओमिक्रॉन भविष्य में अपना स्वरूप बदलकर अधिक घातक बन सकता है, इसलिए बेहद सतर्क, सावधान और सुरक्षित रहने की आवश्यकता है।
अधिकांश विशेषज्ञों की भांति उनका भी यही मानना है कि टीकाकरण के अलावा कोविड सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन ओमिक्रॉन संक्रमण को नियंत्रित करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। हालांकि भारत के संदर्भ में यह स्थिति चिंतनीय इसलिए है क्योंकि कोविड सुरक्षा प्रोटोकॉल का सारा ठीकरा और सारी जिम्मेदारी केवल जनता के ही मत्थे मढ़ दी जाती है। इस मामले में देश के कर्णधारों का व्यवहार देखें तो स्थिति काफी दयनीय है।
प्रधानमंत्री, गृहमंत्री से लेकर तमाम राजनीतिक दलों के बड़े-बड़े नेता ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरों को देखते हुए आम जनता को तो भरपूर ज्ञान की घुट्टी पिलाते नजर आते हैं मगर स्वयं रैलियों में हजारों-लाखों लोगों की भीड जुटाकर सारे कोरोना सुरक्षा प्रोटोकॉल की खुलकर धज्जियां उड़ाते हैं।
लापरवाहियों (Negligence Omicron) के चलते भारत कोरोना की दूसरी लहर के दौरान तबाही का जो मंजर देख चुका है, ऐसे में यदि चुनावी रैलियों में सभी राजनीतिक दलों द्वारा इसी प्रकार भारी भीड़ जुटाई जाती रही तो डर यही है कि कहीं फिर से वही हालात न पैदा हों, जैसे मार्च-अप्रैल में चुनाव प्रचार के लिए पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम, पुडुचेरी राज्य विधानसभा चुनावों की रैलियों में जुटाई गई भारी भीड़ के चलते हुए थे।