Hathras accident: उत्तरप्रदेश के हाथरस में नारायण साकार हरी नामक एक बाबा के प्रवचन कार्यक्रम में मची भगदड़ के कारण 121 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए जो अभी भी अस्पताल मेें जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। निश्चित रूप से यह हृदय विदारक हादसा गंभीर चिंता का विषय है।
उक्त कार्यक्रम में सिर्फ 80 हजार लोगों की भीड़ लगाने की प्रशासन ने अनुमति दी थी। किन्तु वहां ढाई लाख लोगों की भीड़ जुट गई। इसकी वजह से व्यवस्था गड़बड़ाना स्वाभाविक है। प्रवचन खत्म करने के बाद जब बाबा अपनी गाड़ी में बैठकर कार्यक्रम स्थल से रवाना हुए तो उनकी गाड़ी से उठती धूल को लेने के लिए हजारों लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा।
इस दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के नाम पर बाबा के सेवादारों ने भीड़ पर जमकर लाठियां बरसाई। नतीजतन एक 121 लोगों की मौत हो गई। और इस भगदड़ की वजह से बड़ी संख्या में लोग घायल हो गए। घटना के बाद से कथित बाबा फरार हैं। पुलिस ने उनके एक प्रमुख सेवादार के खिलाफ और अज्ञात आयोजकों विरूद्ध एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
हैरत की बात है कि उक्त बाबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। इस घटना को गंभीरता से लेते हुए उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तत्काल अपने तीन मंत्रियों को तथा मुख्य सचिव और डीजीपी को हाथरस (Hathras accident) भेजा वे खुद भी घटना के दूसरे दिन हाथरस गए और इस हादसे में घायल लोगों से अस्पताल मेें भेंट कर उनसे घटना के संबंध में जानकरी ली।
यहां तक तो सही है लेकिन सवाल यह उठता है कि ऐसे बाबाओं को इतना बड़ा मजमा लगाने की छूट आखिर कैसे मिल जाती है। जहां तक नारायण साकार हरी नामक इस बाबा का सवाल है तो इसका असली नाम सूरज पाल सिंह है। जो पहले सरकारी नौकरी मेें था और 26 साल पहले वह नौकरी छोड़कर बाबा बन गया।
कुछ सालों के भीतर उसने उत्तरप्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में अपने भक्तोंं की संख्या लाखों तक पहुंचा दी। उसने अपना विशाल आश्रम बना लिया। यहां तक कि अपनी निजी आर्मी खड़ी कर ली। जिसे उसने सेवादार का नाम दिया है। उनके ये सेवादार ही पूरी व्यवस्था संभालते हैं।
प्रशासन ने इस आयोजन में गिने चुने पुलिस कर्मचारी ही भेजे थे क्योंकि बाबा के प्रमुख सेवादार ने अधिक पुलिसबल की तैनाती करने से मना कर दिया था। यही नहीं बल्कि वहां तैनात पुसिलकर्मियों को प्रवचन पंडाल के भीतर जाने से भी रोक दिया गया था।
प्रमुख सेवादार के मुताबिक बाबा के सेवादार ही व्यवस्था बनाए रखने में सक्षम थे। किन्तु इन्हीं सेवादारों ने भक्तों की भीड़ पर लाठीचार्ज कर भगदड़ की स्थिति निर्मित कर दी थी। इन सभी सेवादारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए और बाबा के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए।
भविष्य में ऐसी दर्दनाक घटना की पुनरावृति न हो इसके लिए भी सरकार को कारगर पहल करनी चाहिए। यह नहीं भूलना चाहिए कि लोगों की आस्था के नाम पर व्यापार करने वाले आशाराम से लेकर राम रहीम तक ऐसे ढोंगी बाबा जेल की हवा खा रहे हैं। इन फर्जी बाबाओं की नाक में नकेल कसना निहायत जरूरी है । उम्मीद की जानी चाहिए कि हाथरस (Hathras accident) के हादसे से शासन प्रशासन सबक लेगा।