Music Composer Lata Mangeshkar : सुर सामाज्ञी लता मंगेश्कर नहीं रही। 92 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। इसी के साथ एक सुरिली आवाज खामोश हो गई। भारत रत्न लता मंगेश्कर जैसी सुर साधिका न तो भूत काल में हुई है औैर न ही भविष्य में होगी। चार पीढिय़ा लता मंगेश्कर जी के गाने सुनते हुए पली बढ़ी है।
खुशी हो या गम ईश्वर भक्ति हो या देश भक्ति हर्ष और विषाद के हर क्षण में लता मंगेश्कर जी द्वारा गाये गीत बरबश ही हमारे होटो पर आ जाते हैं। उन्होंने 36 भाषाओं में 50 हजार से अधिक गाने गाए है। वाकई यह एक स्वर्णिम उपलब्धि है। लता जी गाना गाते समय पैरों से चप्पलें उतार देती थी। वे गायन को भक्ति मानती थी। लता जी ने यह मुकाम अपनी प्रतिभा के दम पर हासिल किया था। जब वे मात्र 13 वर्ष की थी तभी उनके सिर से उनके पिता का साया उठ गया था।
इसके बाद अपने (Music Composer Lata Mangeshkar) से छोटे चार भाई बहनों के लालन पालन की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गर्ई। जिसे उन्होंने बाखुबी निभाया। वैसे तो वे फिल्मों में अभिनेत्री बनना चाहती थी लेकिन उन्हें गायिका बनना पड़ा। शुरू में तो उन्हें यह कह कर गायिका के रूप में स्वीकार नहीं किया गया कि उनकी आवाज बहुत पतली है लेकिन जब उन्हें गाने का अवसर मिला तो फिर उन्होंने एक से बड़कर एक मधुर गाने गाये और अपनी मिश्री सी मिठी आवाज का पूरे देश पर जादू कर दिया।
लता जी ने वैसे तो ढेरों गाने गाए है लेकिन कवि प्रदीप द्वारा लिखित देशभक्ति गीत ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी जो शहीद हुए उनकी जरा याद करो कुर्बानी अजर अमर गाना हो गया। जब लता जी ने यह गाना गाया था तो वहां उपस्थित तात्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की आंखो से आंसूओं की धारा बह निकली थी। लता जी ने एक सच्चि कला साधिका के रूप में अपना जीवन कला की उपासना में ही लगा दिया।
उनकी इस अमुल्य सेवा के लिए ही उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। लता मंगेश्कर का शरीर भले ही अब हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी आवाज आने वाली कई सदियों तक गूंजती रहेंगी। संगीत जगत में उनके न रहने से जो सुना पन पैदा हुआ है उस शुन्य को और कोई नहीं भर सकता इसकी भरपाई उनके द्वारा गाए गए अजर अमर गीत ही करेंगे।
लता मंगेश्कर (Music Composer Lata Mangeshkar) के निधन पर आज सारा देश रो रहा है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। साथ ही यह कामना भी कर रहा है कि वे एक बार फिर इसी धरा पर जन्म लें।
दैनिक नव प्रदेश परिवार की ओर से भी विन्रम श्रद्धांजलि।