Misappropriation of Public Money : वैसे तो नेता और नौकरशाह सरकारी खजाने को अपने बाप की बपौती मानकर चलते और सरकारी धन का खुलेआम दुरूपयोग करते है। यद्यपि कुछ ईमानदार नेता और नौकरशाह जरूर ऐसे भी है जो सरकारी धन का दुरूपयोग करना अपराध समझते है। किन्तु उनकी गिनती कम है। अधिकांश लोग तो राम राम जपना सरकारी माल अपना के मूलमंत्र पर अमल करते है।
खुद को आम आदमी बताने वाले नई दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने सरकारी निवास के संधारण और उसमें ऐैशोआराम के संसाधन जुटाने के लिए ४५ करोड़ रूपए खर्च कर दिए। एक खबरिया चैनल ने जब उनके इस शाही खर्च का पर्दाफाश किया ता अब आम आदमी पार्टी के कई नेता अरविंद केजरीवाल के बचाव में सामने आ गए है और तर्क के नाम पर कुतर्क कर रहे है। जबकि हर छोटे बड़े मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखने वाले नई दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खामोशी की चादर ओढ़कर बैठ गए है। ये वही अरविंद केजरीवाल है जिन्होने जब पहली बार नई दिल्ली विधानसभा का चुनाव जीता था और मुख्यमंत्री बने थे तब उन्होने घोषणा की थी कि वे न तो बड़ा बंगला लेंगे न लग्जरी गाड़ी का उपयोग करेंगे और न ही सुरक्षा के नाम पर कोई तामझाम करेंगे।
यही नहीं बल्कि उन्होने वीआईपी संस्कृति को खत्म करने का भी संकल्प लिया था और बाकायदा इस बारे में शपथपत्र दाखिल किया था। आज वही अरविंद केजरीवाल न सिर्फ आलीशान बंगले में रह रहे है और अपने काफिले में लग्जरी गाडिय़ां लेकर चल रहे है और सुरक्षा के नाम पर दिल्ली के पुलिस के अलावा पंजाब की पुलिस की भी सेवा ले रहे है। वे एक ऐसे राज्य के मुख्यमंत्री है जिसे पूर्ण राज्य का दर्जा भी नहीं मिला है लेकिन उनका मासिक वेतन देश के प्रधानमंत्री से ३ गुना अधिक है।
अब उन्होने अपने सरकारी बंगले के रख रखाव के नाम पर ४५ करोड़ रूपए खर्च कर डाले है। ऐसे में यह सवाल तो उठेगा ही कि उन्होने वीआईपी संस्कृति खत्म करने का जो संकल्प लिया था उसका क्या हुआ। अब भाजपा और कंाग्रेस इस मामले को लेकर हो-हल्ला मचा रहे है तो आम आदमी पार्टी के नेता इसका सीधा जवाब देने के बदले प्रधानमंत्री के खर्चो का हवाला देकर ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे है।
अपने आप को कट्टर ईमानदार बताने वाली इस पार्टी के सुप्रीमो और नई दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मीडिया से मुंह नहीं छिपाना चाहिए और सामने आकर इस बारे में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। भाजपा ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर 45 करोड़ रुपये के मरम्मत कार्यों का सबसे ‘दयनीय’ पहलू यह है कि इस धनराशि को तब मंजूरी दी गई, जब दिल्ली कोविड-19 वैश्विक महामारी की चपेट में थी. बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, कोरोना महामारी जब पीक पर थी और लोगों की मौत हो रही थी, तब अरविंद केजरीवाल अपने बंगले के रेनोवेशन में व्यस्त थे।
इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने अपने शीशमहल के रेनोवेशन में करोड़ों रुपये खर्च किए. एक समय केजरीवाल कहते थे, एक कमरे के मकान में रहना चाहिए. पैर पैसारने से लेकर शराब घोटाले तक की ये कहानी मीडिया के सामने रखी जा रही है।