Minerals of Afghanistan : अफगानिस्तान में तालिबान को चीन ने समर्थन और सहयोग देने की घोषणा कर अपनी कुटिल चाल चली है। दरअसल चीन की नजर अफगानिस्तान के अमूल्य खनिज भण्डारों पर है। गौरतलब है कि अफगानिस्तान में लिथियम का सबसे बड़ा भंडार है जो इलेक्ट्रानिक वाहनों के उपयोग में आता है।
आज सारी दुनिया पेट्रोल और डीजल के वाहनों को तिलांजली देने की योजना पर काम कर रही है और पेट्रोल व डीजल वाहनों की जगह इलेक्ट्रानिक वाहन ले रहे है। इसलिए निकट भविष्य में अफगानिस्तान में पाया जाने वाला लिथियम सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और उसके भंडार पर जिसका कब्जा होगा वह मालामाल हो जाएगा।
अफगानिस्तान में न सिर्फ लिथियम बल्कि अन्य बहुमूल्य खनिजों के भी अकूट भंडार है जिसका अफगानिस्तान की सरकारें सिमित संसाधनों के कारण उचित रूप से दोहन नहीं कर पाई है अन्यथा अपने खनिजों (Minerals of Afghanistan) के कारण ही अफगानिस्तान आज एक समृद्ध देश होता। अफगानिस्तान में जो हालात बने है वह भी चीन की सोची समझी साजिश ही नजर आ रही है।
अमेरिका की सेना की वापसी के बाद चीन अफगानिस्तान पर कब्जे की कवायद कर रहा है। इस काम में उसे उसके पिट्ठू पाकिस्तान का सहयोग मिल रहा है जिसने तालिबान को अफगानिस्तान में अपने पांव जमाने के लिए भरपूर मदद की थी। अब अफगानिस्तान तालिबान के कब्जे में आ गया है सिर्फ पंजशीर प्रांत अपवाद है जहां तालिबान का कब्जा नहीं हो पाया है लेकिन शेष अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्जा कर लिया है और अपनी सरकार बनाने की कवायद भी शुरू कर दी है।
तालिबान को चीन ने न सिर्फ समर्थन देने की घोषणा की है बल्कि अफगानिस्तान के विकास में हर संभव मदद मुहैया कराने का भी आश्वासन दिया है। इसका मतलब साफ है कि चालबाज चीन ने अफगानिस्तान में अपना जाल फैलाना शुरू कर दिया है और आगे चलकर वह तालिबान को अपने प्रभाव में लेकर वहां के खनिज भंडारों (Minerals of Afghanistan) का अंधाधुंध दोहन कर अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा।
चीन की इस चालाकी को देखते हुए दुनिया के अन्य देशों को अफगानिस्तान के मामले में दखल देने के लिए आगे आना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र को भी इस दिशा में कारगर पहल करनी चाहिए।