महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (maharashtra assembly election) के ठीक पहले कांग्रेस (congress) को एक और बड़ा झटका (big setback) लगा है। कांग्रेस के छह विधायकों (six congress mlas) ने पार्टी से इस्तीफ दे दिया (resign) है और वे सभी भाजपा (bjp) में शामिल (join) हो सकते हैं।
बताया जा रहा है कि ये सभी विधायक कांग्रेस पार्टी द्वारा उन्हे फिर से विधायक पद का टिकट न दिए जाने से नाराज थे। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लडऩे की घोषणा की है और दोनों ही पार्टीयों ने 125-125 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने का निर्णय लिया है जबकि 38 सीटों पर गठबंधन के अन्य उम्मीदवारों को मैदान में उतारा जाएगा।
कांग्रेस औैर राकांपा (congress and ncp) दोनों ही दलों के अनेक नेता विधानसभा चुनाव के पूर्व ही पाला बदल चुके हैं। इनमें से कई नेता भाजपा में शामिल हुए हैं। तो कई नेताओं ने शिवसेना का हाथ थामा है। भाजपा और शिवसेना (bjp and shivsena) इस बार भी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा 144 सीटों पर और शिवसेना 126 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
जबकि 18 सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ी गई हैं। भाजपा और शिवसेना का गठबंधन इस बार भी महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए पूरी ताकत लगा रहा है। विपक्षी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (congress and ncp) में जो बिखराव की स्थिति बनी हुई है उसे मद्देनजर रखते हुए भाजपा और शिवसेना का गठबंधन इस बार भारी बहुमत से जीत दर्ज करने में सफल हो जाए तो आश्चर्य नहीं होगा। ऐन चुनाव के पूर्व राकापा सुप्रीमों शरद पवार महाराष्ट्र सरकारी बैंक घेाटाले में फंस गए हैं। उनके खिलाफ जांच शुरू हो गई है।
इस वजह से उनकी पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है। हालांकि शरद पवार ने इस कार्यवाही को राजनीतिक बदले की कार्यवाही करार दिया है और आरोप लगाया है कि केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा की सरकार ने सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर उनके खिलाफ जांच शुरू कराई है। कांग्रेस (congress) ने भी शरद पवार के खिलाफ की जा रही कार्यवाही को बदले की भावना से प्रेरित बताया है।
बहरहाल महाराष्ट्र में जैसे हालात नजर आ रहे हैं उसे देखते हुए यही लगता है कि कांग्रेस और राकांपा की आंतरिक कलह का लाभ भाजपा और शिवसेना गठबंधन को मिल सकता है और एक बार फिर महाराष्ट्र में भाजपा व शिवसेना की गठबंधन सरकार बनी रह सकती है।