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Lokwani : स्थानीय टैलेंट से तैयार हुआ विकास का छत्तीसगढ़ मॉडल-भूपेश बघेल

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रायपुर/नवप्रदेश। Lokwani : मुख्यमंत्री की मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी की 22वीं कड़ी में ‘जिला स्तर पर विशेष रणनीति से विकास की नई राह‘ विषय का प्रसारण आज किया गया। मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी भाषा में अपने उद्बोधन की शुरूआत करते हुए प्रदेशवासियों को नवरात्रि, दशहरा, करवा चौथ, देवारी, गौरा-गौरी पूजा, मातर, गोवर्धन पूजा, छठ पर्व, भाई-दूज आदि त्यौहारों की शुभकामनाएं दीं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के चारों कोनो में देवी माई के बड़े-बड़े मंदिर है। दंतेवाड़ा में दंतेश्वरी दाई, डोंगरगढ़ में बम्लेश्वरी दाई, रतनपुर में महामाया दाई, चंद्रपुर में चंद्रहासिनी दाई बिराजी हैं। नारी शक्ति के रूप में हम बेटियों की पूजा करते हैं और हमारे यहां कन्या भोज कराने की भी परंपरा है। उन्होंने कहा कि बेटियों और नारियों के प्रति सम्मान भाव के कारण हमारे यहां वर्ष में दो बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। बेटियों और नारियों के प्रति सम्मान का यह भाव हमें पूरी जिंदगी निभाना है। यहीं सही मायने में छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा है। हमें अपनी परंपरा और संस्कृति की शिक्षा से अपने जीवन में उतारना है। राज्य सरकार ने दाई-दीदी के अधिकार और उनके मान-सम्मान को बढ़ाने का प्रयास किया है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Lokwani) ने कहा है कि स्थानीय टैलेंट, स्थानीय युवा और स्थानीय संसाधनों के उपयोग से हम विकास के छत्तीसगढ़ मॉडल को और ज्यादा विस्तार देंगे। इससे छत्तीसगढ़ का हर क्षेत्र समृद्ध और खुशहाल होगा।

CM बघेल ने कहा कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा करने में जिला प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। डीएमएफ एवं मनरेगा से इसमें काफी मदद की जा सकती है। स्थानीय मौसम, मिट्टी और विशेषता को देखते हुए जिस तरह बीजापुर में मिर्ची की खेती का सपना साकार हो रहा है। वैसे ही अन्य जिलों में भी वहां की विशेषता के अनुसार बहुत से काम हो रहे हैं और इसमें बहुत बढ़ोत्तरी करने की संभावना है। जिला प्रशासन की पहल से अब जशपुर जिले में असम की तरह चाय के बागान दिखने लगे हैं। अबूझमाड़ में लोगों को शासन की योजनाओं का लाभ मिल सके इसके लिए गांवों का सर्वे कराया जा रहा है।

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नरवा योजना में होंगे जल संरक्षण और संवर्धन के कार्य

मुख्यमंत्री (Lokwani) ने राज्य सरकार की नरवा योजना के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि नरवा योजना के तहत प्रदेश के 30 हजार नालों में जल संरक्षण और संवर्धन का कार्य करने की शुरूआत की गई है। जिससे किसानों को पानी की चिंता से छुटकारा मिले। लोकवाणी में कोरबा जिले के ग्राम लबेद के टीकाराम राठिया ने बताया था कि उनके गांव के नाले पर बने बांध से अब लगभग साढ़े तीन सौ एकड़ में किसान धान और साग-सब्जी की खेती कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि लबेद गांव में 25 साल पहले मिट्टी का बांध बनाकर पानी रोका गया था। जिला प्रशासन ने अच्छी पहल करते हुए 2 करोड़ 34 लाख रूपए की लागत से इस बांध का वैज्ञानिक ढंग से पुनरोद्धार और नवनिर्माण का कार्य कराया, जिससे इस बांध की सिंचाई क्षमता दोगुनी हो गई है। पहले जहां 210 एकड़ में पानी पहुंच पाता था, अब 419 एकड़ तक पानी पहुंच रहा है। लबेद और गिद्धकुंवारी के लोगों को इसका लाभ मिलने लगा है। इस बांध से लगी 800 मीटर की अंडर ग्राउंड नगर बनाई गई है। जिससे पानी अंतिम छोर तक पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि लबेद जलाशय परियोजना की सफलता से अन्य जिलों के लोगों को प्रेरणा मिलेगी।

मिर्ची की खेती से किसान की बढ़ेगी आय

मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजापुर जिले के चंदूर, तारलागुड़ा और कोत्तूर गांव में जिला प्रशासन द्वारा मिर्ची की खेती की जो पहल की गई है। इससे इन तीन गांवों में 155 एकड़ जमीन के स्वामी 78 किसान परिवारों को मिर्ची की खेती के लिए तैयार किया गया है। डीएमएफ एवं मनरेगा के माध्यम से खेतों की फेंसिंग, बीज, खाद, बोर, ड्रिप इरिगेशन, मल्चिंग एवं विद्युत आदि प्रारंभिक व्यवस्था करके नर्सरी तैयार कर ली गई है। इस तरह जो लोग पहले मूंग की खेती करके प्रति एकड़ लगभग 10 हजार रुपए कमाते थे, वे मिर्ची की खेती करके, एक से डेढ़ लाख रुपए तक प्रति एकड़ कमाएंगे। इसके अलावा मिर्ची तोड़ने के काम में स्थानीय लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार, बेहतर रोजी और अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी, जिससे वे अपने गांव, अपने घर और अपने परिवार में रहते हुए काफी राशि बचा सकेंगे।

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