It is necessary to strike at the root of terrorism: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर पूरा देश आक्रोशित है। सरकार ने इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई जिसमें सभी राजनीतिक पार्टियों ने दलगत भावना से ऊपर उठकर सर्वसम्मति से सरकार का समर्थन किया और यह भरोसा दिलाया कि आतंकवाद के खिलाफ केन्द्र सरकार जो भी कार्यवाही करेगी उसमें हम अपना समर्थन देंगे।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी कहा कि विपक्ष का सरकार को पूरा समर्थन है। सरकार आतंकवाद के खात्मे के लिए कड़े से कड़े कदम उठाये। यहां तक प्रधानमंत्री और भाजपा का हमेशा विरोध करने वाले अस्सुद्दीन ओवैसी ने भी आतंकवाद के खिलाफ की जाने वाली कार्यवाही का समर्थन किया। उन्होंने तो पहलगाम में आंतक मचाने वाले की आतंवादियों के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली और उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की मांग भी की।
कुल मिलाकर आतंकवाद के खिलाफ आज पूरा देश एकजुट है। अब यह केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह आतंकवाद की जड़ पर प्रहार करे। इस मामले में न सिर्फ देश एकजुट है बल्कि दुनिया के तमाम देश भी भारत के साथ हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को भरोसा दिलाया है कि भारत की आत्मा पर हमला करने का दु:साहस करने वाले देश के दुश्मनों को बख्शा नहीं जाएगा। आतंकवादियों को ऐसी कड़ी सजा दी जाएगी जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी। आतंकवाद की जड़ पाकिस्तान है। इसलिए अब यह आवश्यक हो गया है कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में सबक सिखाया जाये।
भारतीय सेना पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए तैयार है किन्तु केन्द्र सरकार जल्दबाजी में ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहती जिसका भारत पर भी प्रभाव पड़े। पाकिस्तान के खिलाफ जंग अंतिम विकल्प है। देर सवेर भारत इस अंतिम विकल्प पर भी विचार जरूर करेगा और पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाएगा कि उसकी सात पुश्तें इसे याद रखेंगी। फिलहाल भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक कदम उठायें हैं और इसी से पाकिस्तान सकते में आ गया है।
सिंधु जल समझौता स्थगित करने का फैसला लेकर भारत ने पाकिस्तान के होश उड़ा दिये हैं इससे बौखलाकर पाकिस्तान ने बयान दिया है कि सिंधु जल समझौता यदि खत्म किया जाता है तो इसे भारत और पाकिस्तान के बीच जंग के आगाज के रूप में देखा जाएगा। किन्तु भारत ने अब पाकिस्तान के खिलाफ हर मोर्चे पर आर पार की लड़ाई लडऩे का दृढ़ निश्चय कर लिया है। हालांकि भारत अभी भी अपनी इस नीति पर कायम है कि हमारी ओर से पहली गोली नहीं चलाई जाएगी और यदि पाकिस्तान ने ऐसी हिमाकत की तो भारत की ओर से गोलियों की ही नहीं बल्कि गोलों की भी गिनती नहीं की जाएगी।
पाकिस्तान के हुक्मरान डरे हुए हैं उन्हें लग रहा है कि भारत कभी भी उसके खिलाफ जंग छेड़ सकता है यही वजह है कि पाकिस्तान में सेना को अलर्ट कर दिया गया है और पाकिस्तान जो विश्व मंच पर अलग थलग पड़ चुका है वह चीन के सामने मदद की गुहार लगाते हुए गिड़गिड़ा रहा है किन्तु भारत को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की कौनसा देश पाकिस्तान की हिमायत में सामने आता है। भारत आज दुनिया में एक बड़ी ताकत बन चुका है और वह अकेले अपने दम पर दुश्मनों से मुकाबला करने और उन्हें नेस्तनाबूत करने में सक्षम है।
जब इसका अवसर आएगा तो भारत ऐसा कर भी दिखाएगा। फिलहाल तो हमारी सरकार के समाने प्राथमिकता इस बात की है कि जम्मू कश्मीर में जो मुट्ठीभर आतंकवादी अभी भी छिपे हुए हैं। उन्हें चुन-चुन कर जहन्नुम रसीद किया जाये और इन आतंकवादियों के मददगारों के खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही की जाये। भारतीय सेना और सुरक्षा बल के जवानों ने जम्मू कश्मीर में सर्चिंग तेज कर दी है और कई स्थानों पर छुपे आतंकवादियों को घेर लिया गया है। एक आतंकवादी तो मारा भी गया है। वहीं दो आतंकवादियों के घरों को खंडर के रूप में तब्दील कर दिया गया है।
आतंकवादियों के मददगार के रूप में चिन्हित किये गये लगभग डेढ़ सौ लोगों को हिरासत में लेकर उनसे कड़ी पूछताछ की जा रही है। जिनसे अन्य आतंंकवादियों के ठिकानों का पता लगने की उम्मीद है। भारतीय सेना और सुरक्षाबलों को आतंकवादियों के खिलाफ कार्यवाही के लिए फ्री हैंड कर दिया गया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि बहुत जल्द जम्मू कश्मीर में बचे हुए मुट्ठीभर आतंकवादी मार गिराये जाएंगे।
इस बार आतंकवादियों के खिलाफ की जा रही कार्यवाही का जम्मू कश्मीर के स्थानीय लोगों ने भी समर्थन किया है वे भी चाह रहे हैं कि जम्मू कश्मीर से आतंवादियों का नामों निशान मिटा दिया जाये। यह पहली बार देखा जा रहा है कि जम्मू कश्मीर के लोगों में आतंकवादियों के खिलाफ आक्रोश गहराता जा रहा है।
ऐसा होना स्वाभाविक भी है। क्योंकि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने निर्दोष और निहत्थे पर्यटकों की जघन्य हत्या कर जम्मू कश्मीर के लोगों के पेट में भी लात मारी है। पहलगाम की घटना के बाद जम्मू कश्मीर से सभी पर्यटक वापस लौट गये हैं और निकट भविष्य में तो उनके जम्मू कश्मीर जाने की कोई संभावना नहीं है। ऐसे में जम्मू के लोगों की रोजी रोटी का सवाल खड़ा हो जाएगा क्योंकि वहां स्थानीय लोगों की आय का साधन पर्यटक ही है।
यदि उन्होंने जम्मू कश्मीर से किनारा कर लिया तो वहां के लाखों लोगों का रोजगार और उद्योग धंधे ठप हो जाएंगे। यही वजह है कि आतंकवादियों के खिलाफ जम्मू कश्मीर के लोग भी एकजुट हो गये हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि आतंकवाद के खिलाफ कश्मीर से कन्या कुमारी तक भारत एक हो गया है। अब बस इंतजार इस बात है कि भारत सरकार कब आतंकवाद की जड़ पर प्रहार करती है।