Editorial: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने कार्यकाल के डेढ़ साल बाद मंत्रिमंडल का बहुप्रतिक्षित विस्तार कर लिया है। हरियाणा फार्मूले को अपनाते हुए उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में और तीन मंत्रियों को शामिल किया है अब छत्तीगसगढ़ में मंत्रियों की संख्या मुख्यमंत्री सहित 14 हो गई है इसके बावजूद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के पास अभी भी एक दर्जन से ज्यादा विभाग हैं वहीं कई मंत्रियों को चार से पांच विभागों का दायित्व संभालना पड़ रहा है। यही नहीं बल्कि इस विस्तार के बावजूद क्षेत्रीय संतुलन नहीं बन पाया है।
धुर नक्सल प्रभावित और आदिवासी बहुल बस्तर क्षेत्र से सिर्फ एक मंत्री ही साय मंत्रिमंडल में है। जबकि बस्तर का प्रतिनिधित्व और बढऩा चाहिए था। यह तभी संभव है जब 2003 के कानून के मुताबिक विधानसभा के सदस्यों की संख्या में 15 प्रतिशत तक ही मंत्री बनाने के प्रावधान को बदला जाये और इसकी जगह कम से कम 20 प्रतिशत मंत्री बनाने का प्रावधान किया जाये तभी क्षेत्रवार सभी जिलों और संभागों को मंत्रिमंडल में समुचित प्रतिनिधित्व प्राप्त होगा और मुख्यमंत्री सहित जिन मंत्रियों पर कई महत्वपूर्ण विभागों का दायित्व है उनका बोझ भी कुछ हल्का होगा जिससे संबंधित विभागों के काम काज की निगरानी ज्यादा बेहतर ढंग से हो पाएगी और विकास कार्यों को भी गति मिलेगी।
छत्तीसगढ़ की आबादी भले ही कम हो लेकिन इसका भूभाग बहुत बड़ा है। इसलिए छत्तीसगढ़ में तो कम से कम 20 प्रतिशत मंत्री बनाने का प्रावधान तो होना ही चाहिए। इस संदर्भ में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने कार्यकाल के दौरान पहल की थी और केन्द्र सरकार को इस बाबत् पत्र लिखा था किन्तु उसपर विचार नहीं किया गया। उम्मीद की जानी चाहिए कि छत्तीसगढ़ के क्षेत्रफल को देखते हुए यहां से 20 प्रतिशत मंत्री बनाने की आवश्यकता को केन्द्र सरकार समझेगी और इसपर गंभीरतापूर्वक विचार कर यथाशीघ्र उचित पहल करेगी।