Necessary to ban use of DJ: ध्वनि प्रदूषण फैलाने में डीजे का मनमाना उपयोग होना सबसे बड़ा कारण बन गया है। हाईकोर्ट के निर्देश के बावजूद छत्तीसगढ़ में डीजे पर प्रशासन अंकुश लगाने में सफल नहीं हो पा रहा है।
गणेशोत्सव पर्व ध्यान में रखते हुए रायपुर जिला प्रशासन ने ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले डीजे संचालकों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की पहल की है जो सराहनीय है।
कायदे से तो पूरे प्रदेश में डीजे के मनमाने उपयोग पर प्रभावी रोक लगाने के लिए प्रदेशव्यापी अभियान चलाया जाना चाहिए। तेज ध्वनि में बजने वाले डीजे को जब्त करके उसके संचालकों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही सुनिश्चित की जानी चाहिए।
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के मुताबिक रात्रि 10 बजे के बाद डीजे (Necessary to ban use of DJ) अथवा अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए।
इसके लिए प्रशासन को संबंधित विभागों की जिम्मेदारी तय करनी होगी तभी कानफोडू डीजे की वजह से लोगों को होने वाली दिक्कतों का समाधान हो पाएगा।
गौरतलब है कि डीजे की तेज अवाज के कारण हृदय रोगियों और बुजुर्गों को भारी असुविधा होती है कई बार तो उनकी जान पर भी आ बनती है। डीजे (Necessary to ban use of DJ) को बंद कराने के लिए जब लोग सामने आते हैं तो अक्सर विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है।
इसलिए यह आवश्यक है कि डीजे और अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्रों के दुरुपयोग पर कड़ाईपूर्वक रोक लगाने के लिए शासन प्रशासन तत्काल कड़े कदम उठाए। जिस तरह रायपुर जिला प्रशासन ने पहल की है उसी तरह पूरे प्रदेश में इस तरह का कारगर कदम उठाना चाहिए।