मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार, 2 दिसंबर 2025 को विधानसभा समिति कक्ष में जल संसाधन विभाग और नर्मदा घाटी विकास विभाग की गतिविधियों की समीक्षा करते हुए प्रदेश की सिंचाई योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गत दो वर्षों में प्रदेश में 7.31 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में नई सिंचाई क्षमता विकसित की गई है।
वर्ष 2026 तक इस क्षमता में 8.44 लाख हेक्टेयर की वृद्धि होने का अनुमान है। प्रदेश की कुल सिंचाई क्षमता को 100 लाख हेक्टेयर तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की सिंचाई परियोजनाओं की समीक्षा प्रधानमंत्री गतिशक्ति पोर्टल (Irrigation Expansion MP ) के माध्यम से की जाएगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पार्वती-काली-सिंध और चम्बल अंतर्राज्यीय लिंक परियोजना, केन-बेतवा अंतर्राज्यीय लिंक परियोजना (Irrigation Expansion MP) की स्वीकृति और केंद्र सरकार के सहयोग को राज्य की महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि राज्य में विभिन्न नदियों को जोड़ने के लिए नदी जोड़ो परियोजना (River Linking Project) का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
इसके तहत उज्जैन जिले में कान्ह-गंभीर, मंदसौर, नीमच और उज्जैन में कालीसिंध-चंबल, सतना जिले में केन और मंदाकिनी, सिवनी एवं छिंदवाड़ा में शक्कर पेंच और दूधी तामिया, रायसेन जिले में जामनेर नेवन और नेवन-बीना नदियों का सर्वेक्षण किया गया। सभी परियोजनाओं के क्रियान्वयन से कुल 5 लाख 97 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई संभव होगी। अनुमानित लागत 9870 करोड़ रुपए है, जिससे सात जिलों के हजारों किसान लाभान्वित होंगे।
मुख्यमंत्री ने भोपाल की झील की प्राचीन तकनीक का अध्ययन कर कम लागत में सुरक्षित जलाशय और बांध निर्माण (Low-cost Reservoirs and Dams) की अवधारणा पर कार्य करने के निर्देश दिए। सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना उज्जैन (614.53 करोड़, 48% भौतिक प्रगति), कान्ह डायवर्सन क्लोज डक्ट परियोजना उज्जैन (919.94 करोड़, 42% भौतिक प्रगति), और सिंहस्थ 2028 के लिए घाट निर्माण (778.91 करोड़) समेत अन्य विकास कार्यों की भी समीक्षा की गई।
प्रमुख बिन्दु
प्रदेश में गत दो वर्ष में 7.31 लाख हैक्टयर क्षेत्र में नई सिंचाई क्षमता विकसित।
प्रदेश की सिंचाई क्षमता में वर्ष 2026 तक 8.44 लाख हैक्टयर की वृद्धि होगी।
प्रदेश में सिंचाई क्षेत्र 100 लाख हैक्टेयर तक ले जाने का लक्ष्य।
प्रदेश की सिंचाई परियोजनाओं की समीक्षा प्रधानमंत्री गतिशक्ति पोर्टल का प्रयोग कर की जाएगी।
राज्य में भी विभिन्न नदियों को जोड़ने के लिए नदी जोड़ो परियोजना के क्रियान्वयन के निर्देश।
राज्य में नदी जोड़ो परियोजना अंतर्गत उज्जैन जिले में कान्ह-गंभीर, मंदसौर, नीमच और उज्जैन में कालीसिंध-चंबल, सतना जिले में केन और मंदाकिनी, सिवनी एवं छिंदवाड़ा जिले में शक्कर पेंच और दूधी तामिया, रायसेन जिले में जामनेर नेवन और नेवन-बीना नदियों का सर्वेक्षण किया गया।
सभी के क्रियान्वयन से कुल 5 लाख 97 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा सकेगी।
इनकी अनुमानित लागत 9870 करोड़ रुपए होगी।
सात जिलों के हजारों किसान इन योजनाओं से लाभान्वित होंगे।
राज्य की नदियों को आपस में जोड़ने के लिए तकनीकी दल का गठन 13 नवम्बर 2024 को किया गया।
भोपाल की झील की प्राचीन तकनीक का अध्ययन कर इस तर्ज पर कम लागत में सुरक्षित जलाशय एवं बांध निर्माण की अवधारणा पर कार्य करने के निर्देश।
सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना उज्जैन जिसकी लागत 614.53 करोड़ रुपए है। इसकी भौतिक प्रगति 48 प्रतिशत है।
कान्ह डायवर्सन क्लोज डक्ट परियोजना उज्जैन की लागत 919.94 करोड़ है। इस परियोजना की भौतिक प्रगति 42 प्रतिशत है।
सिंहस्थ: 2028 में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए घाट निर्माण एवं संबद्ध कार्य किए जा रहे हैं, जिनकी लागत 778.91 करोड़ है।

