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Inflation relief : महंगाई से त्रस्त जनता को थोड़ी राहत

Inflation relief : Some relief to the people suffering from inflation

Inflation relief

Inflation relief : भीषण महंगाई मार झेल-झेल कर त्रस्त हो चुकी देश की जनता को केन्द्र सरकार ने थोड़ी राहत प्रदान की है। केन्द्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल के मुल्य में क्रमश: 9.50 और डीजल में 7 रुपए की एक्साईज ड्यूटी घटाकर उपभोक्ताओं को राहत दी है। इसी तरह प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत घरेलू रसोई गैस के सिलेंडर के दामों में भी 200 रुपए की कमी की गई है जिससे लगभग 9 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा। रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के कारण दुनिया के अनेक देशों में पेट्रोलियम पदार्थों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। इससे भारत भी अछूता नहीं है।

भारत में भी पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के (Inflation relief) दामों में लगातार वृद्धि हो रही थी। पेट्रोल और डीजल ने तो शतक लगा दिया था वहीं रसोई गैस के मुल्य एक हजार पार कर गए थे। इस मुल्य वृद्धि का सीधा असर आम उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ रहा था। पेट्रोल व डीजल के दाम बढऩे से दैनिक उपयोग की आवश्यक वस्तुओं के दाम आसमान छूने लगे थे। यहां तक दुध, फल और हरी सब्जीया भी लगातार महंगी होने लगी थी। जिसकी वजह से आम आदमी का घरेलू बजट गड़बड़ाने लगा था। और आड़े वक्त के लिए बचाकर रखी गई जमा पूंजी भी महंगाई डायन निगलने लगी थी।

महंगाई को लेकर विपक्ष ने लगातार सरकार पर निशाना साधा और आंदोलन भी किया। आखिरकार केन्द्र सरकार ने पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दामों में कमी कर दी। जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। इसके साथ ही अब राज्य सरकारों का भी यह दायित्व बनता है कि वे भी पेट्रोल व डीजल के दामों में कमी लाने के लिए इस लगने वाले वैट की दरों को थोड़ा कम करके अपने अपने प्रदेश की जनता को राहत दे। केरल सरकार और राजस्थान सरकार ने पेट्रोल व डीजल पर लगने वाले वैट की दरों को थोड़ा कम कर अनुकरणीय कदम उठाया है।

अन्य राज्य सरकारों को भी इसका अनुकरण करना चाहिए। देश में बढ़ती महंगाई के लिए केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहराकर राज्य सरकारें अपने दायित्व से नहीं बच सकती। राज्य सरकारों को भी अपने प्रदेश की जनता के हित को सर्वोपरी मानकर इस दिशा में प्रभावी पहल करनी चाहिए। उम्मीद की जानी चाहिए की केन्द्र सरकार द्वारा पेट्रोलियम पदार्थों पर एक्साइज ड्यूटी घटाने से राज्य सरकारें भी प्रेरणा लेंगी और वे भी यथा संभव पेट्रोल व डीजल पर लगाए जाने वाले वैट की दरों को कम करके लोगों को राहत प्रदान करेगी।

महंगाई पर लगाम लगाने के लिए सिर्फ पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में कटौती करना काफी नहीं है। इसके लिए केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों को और कड़े कदम उठाने होंगे। जमाखोरी और मुनाफा खोरी को रोकने के लिए जो कानून बनाए गए है। उसका कढ़ाई पूर्वक पालन सुनिश्चित करना होगा। दाम बांधों की नीति पर भी अमल करना होगा। हैरत की बात है कि एक ही वस्तु के दाम अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग होते है।

राज्य सरकारों के पास खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग का भारी भरकम अमला होता है। जिसका यह दायित्व बनता है कि जमा खोरी और रोक लगाए। लेकिन यह अमला अवैध वसुली में लिप्त रहता है और व्यापारियों को लूट की खुली छूट दे देता। इस विभाग की नाक पर भी नकेल कसना जरूरी है। तभी बढ़ती महंगाई पर अकुंश (Inflation relief) लग पाएगा और महंगाई की मार से आहत आम जनता को सही मायनों में राहत मिल पाएगी।

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