India’s big diplomatic victory: 26/11 मुंबई हमले के मास्टर मांइड तहव्वुर राणा का भारत अमेरिका से प्रत्यर्पण कराने में अंतत: सफल हो गया। निश्चित रूप से यह भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत है। भले ही इसके लिए भारत को 17 सालों की लंबी प्रतिक्षा करनी पड़ी है। इसके लिए भारत को लंबी कानूनी लड़ाई लडऩी पड़ी। भारतीय जांच एजेंसी एनआईए ने अमेरिका की अदालत में तहव्वुर राणा के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश किये। और डोजर सौंपा।
तब कहीं जाकर अमेरिका तहव्वुर राणा प्रत्यर्पण करने के लिए तैयार हुआ। हलांकि तहव्वुर राणा ने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल करके यह अनुरोध किया था कि उसे भारत के हाथों न सौंपा जाए, किन्तु उसकी याचिका खारिज कर दी गई। अब 26/11 के इस गुनाहगार के गुनाहों का उसी तरह हिसाब होगा। जैसा पहले कसाव का हो चुका है। गौरतलब है कि मुंबई हमलों के एक अन्य आरोपी डेविड हैडली को भी भारत लाने की कोशिश की जा रही है, जो इस समय अमेरिका की जेल में बंद हंै।
डेविड हेडली और तहव्वुर राणा बचपन के दोस्त के बताए जाते हैं और उन्होंने ही मुंबई हमले की शाजिश रचने में मुख्य भूमिका निभाई थी। तहव्वुर राणा पाकिस्तान मूल का बिजनेसमैन है, जो 1997 में पाकिस्तान से कनाडा चला गया था, किन्तु पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों से वह जुड़ा रहा यह माना जा रहा है। तहव्वुर राणा ने ही मुंबई हमले की ना सिर्फ प्लानिंग की थी। बल्कि इसके लिए उसी ने फंडिंग भी की थी। मुंबई हमले के पूर्व वह अपनी पत्नी के साथ मुंबई के उसी ताज होटल में भी आकर रूका था। जिसे आतंवादियों निशाना बनाया था। भारतीय जांच एजेंसियों ने इस मुंबई हमले की जांच के बाद एक और आंतकवादी अबु जिंदाल को गिरफ्तार किया था, जो इस समय जेल में बंद है। वहीं इस साजिश में शामिल हाफिज सईद, जकिउर रहमान और साजिद मीर पाकिस्तान में छिपे हुए हैं।
बहरहाल तहव्वुर राणा के एनआईए के हत्थे चढऩे के बाद अब कोर्ट से उसकी लंबी रिमांड लेने की कोशिश की जाएगी। ताकि उससे कड़ाई पूर्वक लंबी पूछताछ की जा सके। तहव्वुर राणा अब बोलेगा तो कई राज खोलेगा यह बात सर्वविदित है कि मुंबई हमले की साजिश सीमा पार पाकिस्तान में रची गई थी और इसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआईए का भी हाथ था। हालांकि पाकिस्तान मुंबई हमले की घटना के पीछे अपना हाथ होने से इंकार करता रहा है। मुंबई हमले के बाद जो कसाव नामक आतंकवादी पकड़ा गया था, उसे भी पाकिस्तान ने अपने देश का नागरिक मानने से स्पष्ट इंकार कर दिया था। जिसे तीन साल की कानूनी लड़ाई के बाद भारत में फांसी की सजा दी गई थी।
किन्तु तहव्वुर राणा को पाकिस्तान अपने देश का नागरिक होने से इंकार नहीं कर पाएगा। यह बात अलग है कि वह पाकिस्तान छोड़कर कनाडा में बस गया था। तहव्वुर राणा से पूछताछ के बाद मुबई हमलों के पीछे किन-किन का हाथ था। इस बात का पर्दाफाश हो जाएगा। इसी के साथ ही डेविड हेडली के भी प्रत्यर्पण की कोशिश तेज की जाएगी। ताकि मुंबई हमलों के आरोपी इन आतंकवादियों को भारत में उनके किए की सजा दी जा सके। भारत गृह मंत्री अमित शाह ने इस टिप्पणी करते हुए पहले ही कह दिया है कि भारत के गनुाहगारों को कतई बख्शा नहीं जाएगा। उन्हें भारत में ही भारतीय कानून के मुताबिक सजा दी जाएगी।
इस बारे में सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गई है। तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को भाजपा नेताओं ने बड़ी सफलता करार दिया है और कहा है कि पूर्व में जब कांग्रेस की सरकार थी तो उसने मुंबई हमले के आरोपी कसाव को जेल में रखकर बिरयानी खिलाई थी लेकिन अब मोदी सरकार इन आतंकवादियों के गुनाहों का पूरा हिसाब करेगी। वहीं शिवसेना यूबीटी के नेताओं ने तहव्वुर राणा को चौराहे पर फांसी सजा देने की मांग उठानी शुरू कर दी है।
बहरहाल, इस मुद्दे पर इस तरह की राजनीतिक बयानबाजी से परहेज किया जाना चाहिए। कानून को उसका काम करने देना चाहिए। तहव्वुर राणा को तो उसके किए की सजा जरूर मिलेगी। लेकिन उसके जरिये पाकिस्तान में छिपे बैठे हाफिज सईद और उनके गुर्गों के खिलाफ भी भारतीय जांच ऐजेंसियों को भी सबूत मिल सकते हैं। इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को बेनकाब किया जा सकेगा।