Defense Minister’s advice to Pakistan: जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को सलाह दी है कि वह जम्मू कश्मीर में आतंकवाद फैलाना बंद कर दें तो भारत उसके साथ बातचीत शुरू करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा है कि दुनिया में कौन सा ऐसा देश है जो पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंध सुधारना नहीं चाहेगा। हम इस हकीकत को जानते हैं कि हम दोस्त तो बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी को नहीं।
हम पाकिस्तान (Defense Minister’s advice to Pakistan) के साथ बेहतर संबंध कायम करना चाहते हैं लेकिन सबसे पहले पाकिस्तान को जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को प्रायोजित करना बंद करना होगा।
यही नहीं बल्कि राजनाथ सिंह ने पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों को भी यह आफर दिया है कि वे भारत में शामिल हो जाएं। क्योंकि पाकिस्तान पीओके के लोगों को पराया मानता है जबकि भारत उन्हें अपना समझता है। भारतीय रक्षा मंत्री के इस बयान से पड़ोसी देश पाकिस्तान के हुक्मरान शायद इत्तेफाक रखे।
दरअसल पाकिस्तान आतंकवाद की राह छोड़ ही नहीं सकता। पाकिस्तान में आतंकवादियों ने अपना वर्चस्व बढ़ा रखा है। पाकिस्तान (Defense Minister’s advice to Pakistan) की सेना भी वहां के आतंकवादी संगठनों का साथ देती है। पाकिस्तान जम्मू कश्मीर का राग अलापने से भी बाज नहीं आ रहा है। अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर वह लगातार बेसुरा कश्मीर राग अलापता रहा है।
ऐसी स्थिति में पाकिस्तान से यह उम्मीद करना बेमानी है कि वह जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की आग को हवा देने से बाज आ जाएगा। एक ओर तो पाकिस्तान के हुक्मरान भारत के साथ बातचीत की पेशकश करते रहते हैं।
वहीं दूसरी ओर वे जम्मू कश्मीर में अशांति फैलाने की भी साजिश रचते रहते हैं। ऐसी स्थिति मे पाकिस्तान के साथ बातचीत हो ही नहीं सकती ।
भारत सरकार ने पहले भी यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पड़ोसी देश पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद नहीं करेगा। तब तक उसके साथ किसी भी स्तर पर किसी भी तरह की कोई बातचीत नहीं की जाएगी।
पाकिस्तान (Defense Minister’s advice to Pakistan) दोस्ती का हाथ बढ़ाकर हमारी पीठ में पहले भी छुरा भोकता रहा है। पूर्व में तात्कालीन प्रधानमंंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई समझौता एक्स्प्रेस लेकर पाकिस्तान गए थे और दोनों देशों के बीच रेल सेवा शुरू करने की योजना पर काम शुरू किया था लेकिन बदले में पाकिस्तान के तात्कालीन राष्ट्रपति मुशर्रफ ने कारगिल कब्जा करके भारत और पाकिस्तान के बीच जंग की नौबत ला दी थी।
इसके बाद से भारत और पाकिस्तान के संबंधों में ऐसी दरार पड़ गई कि फिर दोनों के बीच संबंध सामान्य नहीं हो पाए। 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी तो पीएम मोदी ने पाकिस्तान के तात्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अपने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया था।
इसके बाद दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य होने की उम्मीद जगी थी। नवाज शरीफ ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपने यहां हुए एक शादी समारोह में शामिल होने का न्यौता दिया था तो पीएम मोदी वहां पहुंच गए थे।
इसके तत्काल बाद पाकिस्तान (Defense Minister’s advice to Pakistan) के आतंकवादी संगठन ने पुलवामा पर हमला किया था। नतीजतन दोनों देशों के बीच खाई और चौड़ी हो गई। इसके बाद से भारत ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की संभावनाओं के द्वार बंद कर दिए।
बहरहाल पाकिस्तान जो खुद मुसीबतों में घिर चुका है अब वही भारत के साथ बातचीत के लिए लगातार प्रस्ताव दे रहा है जिसे स्वीकार ने का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि पाकिस्तान अपने नापाक मंसूबों से बाज नहीं आ रहा है ऐसे में उससे बातचीत संभव ही नहीं है।