नितेश छाबड़ा। Indian Cricket Lovers : आखिऱकार भारतीय टीम बड़े ही अपमानजनक तरीके से एशिया कप से बाहर हो गई। भारतीय क्रिकेट प्रेमियों का गुस्सा चरम पर है। पहले मैच में पाकिस्तान को मात देने के बाद टीम का फाइनल में खेलना तकरीबन तय माना जा रहा था। पर कोई नहीं समझ पा रहा है कि टीम को अचानक ऐसा क्या हो गया कि सुपर चार में पाकिस्तान और श्रीलंका के विरुद्ध अच्छी शुरूआत के बाद भी दोनों मैचों में पराजय हाथ लगी।
फिलहाल टीम मैनेजमेंट के सामने इतने सारे सवाल हैं अगली द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में उन्हें इनका जवाब ढूंढने में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। पिछले साल अक्टूबर में इसी दुबई के मैदान में न्यूजीलैंड से हारने के बाद भारतीय टीम विश्वकप से बाहर हो गई थी। उसके बाद टीम इंडिया की कमान रोहित शर्मा ने सम्हाली तो जरूर, पर लगता है उन्होंने विश्वकप की हार से कोई सबक नहीं सीखा। पिछले 10 माह से टीम को खड़ा करने के लिए नित नए प्रयोग जारी हैं।
द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में जीत से ऐसा लगता रहा कि टीम इंडिया सही राह पर है। पर पिछली दोनों हार के बाद देखा जाए, तो लगता है कि टीम इंडिया एक पूरा चक्र घूमकर उसी जीरो पर खड़ी है। फिर से वही सवाल कि इतने सारे टैलेंटेड खिलाडिय़ों का पूल होने के बाद भी हमारे खिलाड़ी क्रंच सिचुएशन या बड़े मैच में डिलीवर क्यों नही कर पा रहे हैं? प्रेस कांफ्रेंस में इस सवाल का जवाब मांगने पर रोहित टालमटोल के वाक्य (Indian Cricket Lovers) बोलकर चलते बने।
ओपनिंग की समस्या
केएल राहुल पिछले 8 महीने से कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेले थे। वापसी के बाद वे रंग में कतई नजऱ नही आ रहे हैं। विश्वकप में भी वे नाकाम रहे थे। इन सबको देखते हुए यह सवाल उठना लाजमी है कि रोहित के साथ किस बल्लेबाज को ओपनर के रूप में उतारा जाए। शिखर धवन अभी भी बहुत अच्छे विकल्प हैं। उनका हालिया फॉर्म भी लाजवाब है। लेफ्ट हैंडर होना उनकी एक अतिरिक्त खासियत है, पर पता नहीं क्यों उन्हें टी-20 फॉर्मेट की योजना से बाहर कर दिया गया है। अब या तो विराट को ओपनिंग में उतारा जाए या अगर बाएं हाथ के बल्लेबाज को आजमाना है तो ईशान किशन भी अच्छे विकल्प हो सकते हैं।
मध्यमक्रम में निरंतरता की जरूरत
दोनों मैचों में टीम इंडिया बीच के और आखिरी ओवरों में स्कोरबोर्ड को सही रन रेट से आगे नहीं बढ़ा पाई। जबकि दोनों दफा 10-12 ओवर तक टीम सुदृढ़ स्थिति के थी। सूर्यकुमार और हार्दिक को अपने प्रदर्शन में निरंतरता लानी होगी। विशेष तौर पर सूर्यकुमार को बडे मैच में बड़ी टीम की विरुद्ध मैच जिताऊ पारियाँ खेलना होगी। उनके भीतर बहुत सी संभावनाएं हैं, पर वे अक्सर लापरवाह नजऱ आते हैं। विराट ने पहली तीन पारियों में लाजवाब बल्लेबाजी की। ऐसा लगा कि उन्होंने लय पकड़ ली है, पर श्रीलंका के खिलाफ वे जिस तरह से आउट हुए वह अच्छा संकेत नहीं है।
गेंदबाजी आलराउंडर की तलाश
रविन्द्र जडेजा के चोटिल होने से टीम इंडिया के कॉम्बिनेशन को बहुत बड़ा झटका लगा है। टीम मैनेजमेंट को खासकर टी20 फॉर्मेट में लगातार ऐसे विकल्प तलाशने होंगे, जो गेंदबाजी के साथ साथ निचले क्रम में अच्छी बल्लेबाज़ी कर पाएँ और आखरी के ओवरों में लगातार बड़े हिट्स लगा पाएं। फिलहाल टीम का कॉम्बिनेशन ऐसा है कि बल्लेबाज बिल्कुल भी गेंदबाजी नही कर पाते और गेंदबाज रन बनाने में अक्षम साबित होते हैं। ऐसे खिलाड़ी आज के टी20 फॉर्मेट में बिल्कुल भी फिट नही बैठते। ऐसे में अक्षर पटेल, शार्दूल ठाकुर और दीपक चाहर को लगातार मौके देने होंगे। ये सभी खिलाड़ी गेंदबाजी के साथ साथ बड़े शॉट्स लगाने में सक्षम हैं।
आखिर डीके को क्यों नही खिलाया गया
पहले मैच में पाकिस्तान के विरुद्ध दिनेश कार्तिक को टीम में लेने के बाद सुपर फोर के दोनों मैचों में उन्हें 11 में जगह नही दी गई। आईपीएल में अच्छे प्रदर्शन के बाद उन्हें टीम में फिनिशर के रोल के लिए चुना गया है और पिछले 10-12 मैचों में उन्होंने कुछ फंसे हुए मैच अपने दम पर जिताए हैं। इसके बावजूद उनकी जगह पंत और हुड्डा को तरजीह दिया जाना किसी के गले नहीं उतर रहा है। यह भी हार की एक बड़ी वजह है।
पॉवरप्ले में विकेट चटकाने वाले तेज़ गेंदबाज की जरूरत
पिछले दोनों मैचों में टीम इंडिया के तेज गेंदबाज पॉवरप्ले में एक भी विकेट हासिल नही कर पाए। इससे बीच के ओवरों में विरोधी टीम के लिए बल्लेबाज़ी आसान हो गई। हालांकि अर्शदीप ने डेथ ओवरों में लाजवाब गेंदबाजी की। पर वे भी शुरुआती ओवरों में विकेट लेकर दबाव बनाने में सफल नहीं हुए। भुवनेश्वर भी पहले मैच के बाद प्रभावी गेंदबाजी नहीं कर पाए। इस मामले में ज़्यादा मेहनत की जरूरत होगी। इस टूर्नामेंट में शमी की भी कमी महसूस की गई। आश्चर्य है कि वे भी टी20 योजना में नहीं हैं। इस बात का जवाब किसी के पास नही कि जो गेंदबाज 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी कर सकता है और जिसने ऑस्ट्रेलिया में हुए 2015 के विश्व कप में टीम इंडिया की तरफ से सबसे अधिक विकेट लिए थे, उसे क्यों नजरअंदाज किया गया।
रोहित साहसिक फैसले नहीं ले सके
रोहित शर्मा एक आला दर्जे के कप्तान (Indian Cricket Lovers) हैं। ये बात वे 5 बार आईपीएल जीतकर और 2 बार मल्टीनेशनल टूर्नामेंट जीतकर साबित कर चुके हैं। पर एशिया कप में उनकी कप्तानी निशाने पर आ गयी हैं। वे कई दफा साथी खिलाडिय़ों पर झल्लाते हुए अपना आपा खोते नजर आए। उनसे साहसिक फैसले लेने की भी उम्मीद की जाती है। दोनों मैचों में वे दीपक हुड्डा से गेंदबाजी नहीं करा पाए। श्रीलंका के खिलाफ रवि बिश्नोई को नहीं लेना भी उनका बड़ा ही कमजोर फैसला था जबकि पाकिस्तान वाले मैच में बिश्नोई ने काफी किफ़ायती गेंदबाजी की थी। अगर अर्शदीप ने आसिफ का कैच न छोड़ा होता तो वह मैच भारत जीत सकता था। अगले महीने से विश्वकप शुरू हो रहा है जहां रोहित का सामना दिग्गज टीमों से होगा। ऐसे में रोहित को सही टीम सेलेक्शन और कड़े फैसले लेने होंगे।