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संपादकीय: महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध चिंतनीय

Increasing crimes against women are a matter of concern

Increasing crimes against women

Increasing crimes against women: आजादी के 78 सालों बाद भी हमारे देश भारत में आधी आबादी आज भी अन्याय, अनाचार, अत्याचार और शोषण का शिकार हो रही हैं।

महिलाओं को अत्याचार से बचाने के लिए सरकार ने कई कानून बनाए हैं। इसके बावजूद महिलाओं के प्रति अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है।

महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध गंभीर चिंता का विषय है। इस बारे में स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध पर गहरी चिंता व्यक्त की है और ऐसे अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दिए जाने की जरूरत पर बल दिया है।

बंगाल में एक सरकारी अस्पताल में पदस्थ लेडी डॉक्टर के साथ ड्यूटी के दौरान जो बर्बरता की गई और रेप के बाद उसकी उसकी जघन्य हत्या कर दी गई। उससे पूरा देश एक बार फिर शर्मसार हो गया है।

इस घटना ने नई दिल्ली के निर्भया कांड की यादें ताजा कर दी । एक डॉक्टर के साथ इस दङ्क्षरदगी के खिलाफ पूरे देश के डॉक्टर आंदोलित हो गए हैं। इसके बावजूद बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने इस घटना के जिम्मेदार आरोपियों को बचाने का प्रयास किया।

पुलिस ने जांच के नाम पर सिर्फ लीपा पोती की । नतीजतन कोलकाता हाईकोर्ट ने इस बर्बर घटना की सीबीआई जांच के आदेश दिए। सीबीआई की जांच शुरू होते ही उक्त अस्पताल से सबूतों को मिटाने की कोशिश की गई।

अस्पताल के जिस फ्लोर पर यह अमानवीय घटना हुई थी। उसमें रेनोवेशन के नाम पर तोडफ़ोड़ करा दी गई। उक्त अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को हटा दिया गया लेकिन तत्काल उन्हें दूसरे मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल भी बना दिया गया।

जिसके बाद बचे खुचे सबूतों को मिटाने के लिए उक्त अस्पताल में सैकड़ो लोगों की भीड़ पहुंच गई। जिसमें आधी रात को वहां जमकर तोडफ़ोड़ की।

यहीं नहीं बल्कि अस्पताल परिसर में पंडाल लगाकर शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे डॉक्टरों के साथ भी मारपीट की गई और उनके पंडाल को तोड़ दिया गया। इस को भी कोलकाता हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है और राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए उससे पूछा है कि अस्पताल के भीतर आधी रात को 7000 लोगों की उग्र भीड़ कैसे घुस गई।

पुलिस क्या कर रही थी। इधर भाजपा ने आरोप लगाया है कि अस्पताल में हमला ममता बनर्जी की सरकार के इशारे पर ही किया गया है। इस मामले को दबाने के लिए बंगाल पुलिस भी डॉक्टरों को धमका रही है।

अस्पताल में हुई तोडफ़ोड़ की घटना के आरोपियों के जो फोटो कोलकाता पुलिस ने जारी किए है उनमें एक फोटो वहीं पदस्थ एक डॉक्टर की है। वहां आंदोलन कर रहा था। इससे स्पष्ट है कि कोलकाता पुलिस किस तरह की कार्यवाही कर रही है।

इधर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए यह बयान दिया है कि इस घटना के पीछे राम और वाम वालों का हाथ है।

जाहिर है ममता बनर्जी की सरकार अभी भी आरोपियों के बचाव में लगी हुई है। यह कोई नई बात नहीं है संदेशखाली की घटना के दौरान भी ममता सरकार ने आरोपी को बचाने की हर संभव कोशिश की थी।

उसी तरह इस बार भी ममता सरकार इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने की कवायद कर रही है। बहरहाल सीबीआई जांच के बाद अपराधियों को उनके किए की कड़ी सजा मिलेगी यह उम्मीद की जानी चाहिए।

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