Incentive Decision : ज्यादा पुराने और खटारा वाहनों को सड़कों से हटाना बहुत जरूरी है और उत्तर प्रदेश सरकार ने इस दिशा में कामयाबी के लिए जो प्रोत्साहन देने का फैसला किया है, वह स्वागतयोग्य है। उत्तर प्रदेश में पंद्रह साल से पुराने वाहनों को कबाड़ में जमा कराने के बाद एक प्रमाणपत्र दिया जाएगा और उस प्रमाणपत्र को दिखाकर एक साल के अंदर वाहन खरीदने पर रोड टैक्स में 15 प्रतिशत की रियायत मिलेगी। दरअसल, बिना रियायत लोग पुराने वाहनों को छोडऩे के लिए तैयार नहीं दिख रहे थे।
कबाड़ की ज्यादा कीमत नहीं मिलती और उसके बाद नई गाड़ी खरीदना (Incentive Decision) भी मजबूरी हो जाती है, अत: लोग कबाड़ हो चुके वाहन को ही किसी तरह से चलाते रहते हैं। ऐसे में, राज्य सरकार द्वारा दिया जा रहा प्रोत्साहन लोगों को कबाड़ से पीछा छुड़ाने के लिए प्रेरित करेगा। गौर करने की बात है कि पुराने वाहन जरूरत से ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं। लगभग हर तीन-चार साल पर वाहन की टेक्नोलॉजी संव्द्धिधत हो जाती है, वाहन निर्माताओं की मजबूरी है, वो नए वाहनों को पर्यावरण अनुकूल बना रहे हैं।
हमें समझना चाहिए कि खटारा हो चुके वाहनों का संचालन भी महंगा होता है, लेकिन नया वाहन और उस पर लगने वाले भारी टैक्स चुकाने के पैसे हर किसी के पास नहीं होते हैं। अत: आने वाले दिनों में देश के दूसरे राज्यों को भी ज्यादा रियायत के साथ सामने आना होगा। दिल्ली में तो खटारा वाहन छोडऩे और नया खरीदने पर सड़क टैक्स में 25 प्रतिशत तक रियायत मिल जाती है। यह रियायत जरूरी है, तभी सरकार न्यायपूर्ण ढंग से लोगों को पुराने वाहनों से छुटकारा पाने और नए वाहन लेने के लिए प्रेरित कर पाएगी।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा है कि 15 साल पूरे कर चुके भारत सरकार के सभी वाहनों को रद्द कर दिया जाएगा और इस आशय की एक नीति राज्यों को भेज दी गई है। वास्तव में यह ज्यादा जरूरी है, जब पुराने सरकारी वाहन सड़कों से हटेंगे, तब आम लोग भी नैतिक रूप से दबाव महसूस करेंगे। किसी भी खटारा या पुरानी चीज को चलन से हटाने के लिए सरकार को ही नेतृत्व करना चाहिए। बहुत पुरानी चीजों का संचालन करते रहना भी अर्थव्यवस्था के लिए बोझ है।
वास्तव में कबाड़ नीति को व्यापक बनाने की जरूरत है, ताकि हमारे स्वास्थ्य और जेब, दोनों का सही संरक्षण हो। गौर करने की बात है कि केंद्र सरकार की यह नीति है, 15 साल से पुराने सरकारी व वाणिज्यिक वाहनों और 20 साल से पुराने निजी वाहनों को परिचालन से हटा देना है।
यह भी उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने राज्य में वाहन स्क्रेपिंग केंद्र स्थापित करने के लिए सबसे पहले, इसी साल 18 फरवरी से आवेदन आमंत्रित करने शुरू कर दिए थे। घोषणा कर दी गई थी कि कोई भी व्यक्ति, कंपनी, संस्था, ट्रस्ट आदि राज्य में वाहन स्क्रेपिंग केंद्र स्थापित करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। स्क्रेपिंग या गाडिय़ों के कबाड़ को लेने या खरीदने का व्यवसाय भी जरूरी है। गाडिय़ों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले तत्वों का यथोचित निवारण जरूरी है।
अभी स्थिति यह है कि देश में जगह-जगह कबाड़ (Incentive Decision) के ढेर नजर आते हैं, उनके सही निस्तारण की सुविधा का विकास भी जरूरी है। अगर लोगों को पता लग जाए कि खटारा वाहनों को कहां यथोचित कीमत पर बेचा जा सकता है, तो लोग स्वयं आगे आएंगे। संगठित स्क्रेप उद्योग को भी प्रोत्साहन की जरूरत होगी। खटारा वाहनों से मुक्ति के लिए अभी बहुत कुछ करना होगा।