Improving Health Services : आधुनिक युग में हमारी बदलती जीवन शैली का हमारे स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ रहा है। नई नई बीमारियां सामने आ रही है, नतीजतन लोगों का चिकित्सा पर व्यय बढ़ता जा रहा है। ऊपर से कोरोना जैसी वैश्विक महामारी ने भी लोगों को आर्थिक रूप से कमजोर करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी के कारण निजी चिकित्सा संस्थानों के प्रति लोगों का रूझन बढ़ रहा है। जहां विशेषज्ञ चिकित्सक तो होते ही है सरकारी अस्पतालों की तुलना में सुविधाएं भी बेहतर होती है।
भले ही इसके लिए लोगों को भारी कीमत चुकानी पड़ती है लेकिन वे स्वस्थ्य (Improving Health Services) हो जाते है। साधन संपन्न लोगों के लिए नीजि चिकित्सा संस्थानों में उपचार कराना आसान होता है लेकिन मध्यम वर्ग और गरीब तबके के लोगों को सरकारी अस्पतालों पर ही निर्भर रहना पड़ता है।
खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली के चलते लोगों को झोलाछाप डॉक्टरों और नीम हकीमों की सेवाएं लेने पर विवश होना पड़ता है। जिससे कई बार तो उनकी जान पर बन आती है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए पिछले डेढ़ दशक से छत्तीसगढ़ सहित देश के १८ राज्यों में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन नामक कार्यक्रम चल रहा है।
जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है लेकिन अब तक इसके अच्छे परिणाम सामने नहीं आए है। जाहिर है इस कार्यक्रम के नाम पर भी सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। चिकित्सक ग्रामीण क्षेत्रों में जाना ही नहीं चाहते, ऐसे में उपस्वास्थ्य केन्द्र, स्वास्थ्य केन्द्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रोंं में कुशल चिकित्सकों के साथ ही प्रशिक्षित नर्सो व अन्य स्टाफ की भी कमी बनी हुई है और आवश्यक दवाओं का भी टोटा रहता है।
अब समय आ गया है कि केन्द्र व राज्य सरकारें ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं (Improving Health Services) के विस्तार के लिए विशेष कार्ययोजना बनाएं और उसे पूरी ईमानदारी से कियान्वित करें ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा मिल सके।