Editorial: बिहार विधानसभ चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के पहले राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस पार्टी ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर बिहार में वोट अधिकार यात्रा निकाली। सोलह दिनों तक चली इस यात्रा बिहार की राजधानी पटना में 1 सितंबर को समापन हुआ। लगभग 13 किलो मीटर की यह यात्रा बिहार के 25 जिलों के 110 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरी। लोकसभा मे नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी तथा बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के संयुक्त नेतृत्व में निकाली गई इस वोट अधिकार यात्रा ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी।
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के अलावा इस यात्रा में तमिलनाडू, तेलंगाना, झारखंड और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भी शिरकत की वहीं आईएनडीआईए के और भी कई वरिष्ठ नेता इस यात्रा का किस्सा बने। इस पूरी यात्रा में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग तथा भाजपा पर वोट चोरी करने का आरोप लगाते हुए उनपर तीखा हमला किया। अन्य वक्ताओं ने भी वोट चोर गद्दी छोड़ के नारे को जमकर हवा दी। यह बात अलग है कि विपक्षी नेताओं ने वोट चोरी के सबूत के रूप में जिन लोगों के नाम लिये थे और उनके वोट कटने का दावा किया था वे लोग खुद मीडिया के सामने आकर यह बात कबूलने गले की उनका वोटरलिस्ट से नाम ही नहीं कटा है।
बहरहाल आईएनडीआईए की यह वोट यात्रा बिहार विधानसभा चुनाव के पूर्व इस गठबंधन को एकजूट करने में निश्चित रूप से सफल रही। वोट यात्रा में टिकट के दावेदारों ने जगह जगह भारी भीड़ जुटा कर शक्ति प्रदर्शन किया जिससे इस वोट यात्रा में अपार जनसमूह उमड़ा। यह भीड़ वोटों के रूप में कितनी तब्दील होगी यह तो आने वाला समय ही बेहतर बताएगा। इस वोट यात्रा के दौरान राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भावी प्रधानमंत्री बताया। उन्होंने कहा कि केन्द्र में आईएनडीआईए की सरकार बनने पर राहुल गांधी ही 2029 में देश के प्रधानमंत्री बनेंगे।
तेजस्वी यादव को उम्मीद थी कि इसके जवाब में राहुल गांधी भी उन्हें बिहार का भावी मुख्यमंत्री घोषित कर देंगे किन्तु राहुल गांधी ने ऐसा नहीं किया। यात्रा के दौरान एक पत्रकार वार्ता में मीडिया ने राहुल गांधी से यह सवाल भी पूछ लिया था की यदि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनती है तो क्या कांग्रेस तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए सहमत होगी। किन्तु राहुल गांधी ने यह सवाल भी टाल दिया। उन्होंने अपने पत्ते नहीं खोले जाहिर है इससे तेजस्वी यादव को निराशा हाथ लगी होगी।
यही वजह है कि वोट यात्रा के समापन के समय तेजस्वी यादव खुद अपने लिए बैटिंग करने के लिए आगे आ गये और उन्होंने खुद को बिहार का भावी मुख्यमंत्री घोषित कर दिया उन्होंने अपने संबोधन के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को डुप्लीकेट मुख्यमंत्री और खुद को ओरिजनल मुख्यमंत्री बताकर लोगों से प्रश्न से किया कि क्या वे डुप्लीकेट मुख्यमंत्री चुनेंगे या ओरिजनल मुख्यमंत्री बनाएंगे। गौरतलब है कि इसके पूर्व एक सभा में निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने तेजस्वी यादव की शान में कसीदें गढ़ते हुए उन्हें जननायक भी करार दिया था।
पप्पू यादव वोट अधिकार यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे थे। भले ही उन्हें शुरू में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ गाड़ी में चढऩे नहीं दिया गया था इसके बावजूद वे पूरी यात्रा में शामिल रहे और आखिरकार एक चुनावी सभा में उन्हें मंच साझा करने का अवसर मिला था जिसमें उन्होंने तेजस्वी यादव का महिमा मंडन करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी लेकिन उनके द्वारा तेजस्वी यादव को जन नायक कहना शायद कांग्रेस के नेताओं को ही न गंवार गुजरा नतीजतन पटना में वोट यात्रा के समापन पर आयोजित सभा में एक बार फिर पप्पू यादव को मंच में जगह नहीं दी गई और वे कार्यकर्ताओं के साथ नीचे बैठने पर बाध्य हो गये।
कुल मिलाकर इस वोट अधिकार यात्रा से आईएनडीआईए के पक्ष में अच्छा माहौल जरूर बन रहा था लेकिन कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के एक मंच से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक कार्यकर्ता द्वारा दी गई गाली के बाद सरे किये धरे पर पानी फिर गया। अब इस गाली गलौच को लेकर भाजपा आईएनडीआईए पर हमलावार हो गई है। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इसे लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और अब भाजपा ने तो इस गाली कांड को लेकर जगह जगह प्रदर्शन करना भी शुरू कर दिया है जिसे देखते हुए यह कह पाना मुहाल है कि वोट अधिकार यात्रा से आईएनडीआईए को बिहार विधानसभा चुनाव में कितना लाभ मिलेगा।