Hijab Election Issue: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं का धुवीकरण करने के लिए हिजाब को चुनावी मुद्दा बनाया जा रहा है जो अनुचित है। असदुद्दीन ओवैसी लगातार हिजाब को लेकर भड़काऊ बयानबाजी कर रहे है और इस बहाने एक संप्रदाय विशेष के मतदाओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे है।
वही समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस मामले में फूंक फूंककर कदम रख रहे है। पत्रकारों द्वारा उन्हे कुरेदे जाने के बावजूद हिजाब के मुद्दे (Hijab Election Issue) पर उन्होने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इसका मतलब साफ है कि वे किसी को नाराज नहीं करना चाहते। वैसे देखा जाए तो हिजाब मुद्दे पर अखिलेश यादव का रूख सही है। अन्य नेताओं को भी हिजाब मुद्दे को लेकर बयानबाजी करने से बचाना चाहिए।
यह मामला कोर्ट में है और कोर्ट का जो भी फैसला होगा वह सर्वमान्य होगा। इसलिए जब तक हिजाब का मुद्दा न्यायालय में है तब तक इसे लेकर किसी तरह की बयानबाजी करना और इसे चुनावी मुद्दा बनाना न सिर्फ अनुचित है बल्कि सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना भी है।
गौरतलब है कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब मुद्दे पर अपना फैसला होने तक स्कूलों व कालेजों में हिजाब को प्रतिबंधित रखा है। जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई तो सुप्रीम कोर्ट ने उसपर उस समय तक सुनवाई करने से इंकार कर दिया जब तक कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला नहीं आ जाता। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि हिजाब को राष्ट्रीय मुद्दा नहीं बनाना चाहिए लेकिन यह राजनीतिक दलों के लिए मुद्दा बन गया है।
इसका सबसे ज्यादा असर उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में पड़ रहा है। अन्य राज्यों में भी हिजाब (Hijab Election Issue) के समर्थन में और विरोध में प्रदर्शन हो रहे है जो कतई उचित नहीं है। ऐसे लोगों को सुप्रीम कोर्ट की मंशा का सम्मान करना चाहिए और जब तक यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है तब तक इसे लेकर भड़काऊ बयानबाजी नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे विवाद की स्थिति निर्मित हो सकती है और दो समुदायों के बीच कटुता पड़ सकती है।