धमतरी/नवप्रदेश। Handloom Cluster : आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार बनाने में हाथकरघा उद्योग एक मजबूत कड़ी है। देश में हाथकरघा बुनकरों की कला को सम्मानित करने और हाथकरघा उद्योग को समृद्ध करने के उद्देश्य से कई योजनाएं संचालित की जाती है। इसी कड़ी में अब राज्य में पहली बार धमतरी जिले में बुनकरों की उत्पादक कंपनी बनेगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार हथकरघा क्लस्टर (Handloom Cluster) के लिए भारत सरकार, ग्रामीण विकास मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा एनआरईटीपी परियोजना के तहत हथकरघा क्लस्टर को मंजूरी दी गई है। योजना के लिए तहत पांच करोड़ स्वीकृत किया गया है, जिसमें वर्षवार कार्ययोजना अनुरूप बुनकरों की बेहतरी के लिए डीपीआर अनुसार कार्य किया जाएगा।
जिले के धमतरी और कुरूद विकासखण्ड के कुल 53 गांव के ऐसे 500 बुनकर, जो स्व सहायता समूह से जुड़े हैं, को इससे जोड़ा जाएगा। इसके लिए छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की राज्य इकाई और एफडीआरवीसी संस्था नई दिल्ली के बीच अनुबंध किया गया है।
बुनकरों के लिए हुई कार्यशाला
एफडीआरवीसी द्वारा जिला पंचायत में जिला मिशन प्रबंधन इकाई बिहान के साथ एक दिवसीय कार्यशाला भी आयोजित की गई। कार्यशाला में बताया गया कि बुनकरों को संगठित करने के लिए बुनकरां की उत्पादक कंपनी बनाकर उन्हें इसमें जोड़ा जाएगा।
इसके बाद उनको कच्चे माल जैसे धागे की सालभर उपलब्धता सुनिश्चित करने और बाजार उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य किया जाएगा। बुनकरों के उत्पादों को बेहतर बाजार दिलाने उत्पाद की ब्रांडिंग, प्रदर्शनी का आयोजन सहित ऑनलाईन प्लेटफॉर्म से भी जोड़ा जाएगा।
ज्ञात हो कि, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी हथकरघा को उद्योग (Handloom Cluster) बनाकर युवाओं को स्वावलंबी बनाने का सपना देखा था। एक समय आया, जब हथकरघा उद्योग ने ऊंचाइयां छुईं, लेकिन फिर धीरे-धीरे इस उद्योग का ग्राफ नीचे जाने लगा। लेकिन बीते वर्षों में बुनकरों में एक नई उम्मीद जगी और वो उस उम्मीद का ही नतीजा है कि आज भारत के हैंडलूम को पंख लग चुके हैं और तमाम उत्पादों ने लोकल से ग्लोबल की उड़ान भरना शुरू कर दी है।