Governments Schemes : देश में गरीबों की संख्या घटने की जगह बढ़ती ही जा रही है जबकि केन्द्र और राज्य सरकारों की अधिकांश योजनाएं गरीबों के उत्थान के लिए ही बनाई जाती है। इसके बावजूद गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों की तादात कम न हो पाना हैरत की बात है। दरअसल इनमे फर्जी गरीबों की संख्या ज्यादा है जो गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली सहुलियतों का लाभ उठाने के लिए गरीब बने रहते है।
गरीब बने रहने के लिए कुछ खास करना भी नहीं होता। बीपीएल कार्ड आसानी से बन जाते है। सर्वे सूची में नाम भी सहजता से शामिल हो जाते है। दरअसल वास्तविक गरीबों की पहचान करने के लिए जो सर्वे कराया जाता है उसमें गंभीर अनियमितताएं बरती जाती है। संबंधित पार्षद को प्रलोभन देकर ऐसे लोग भी बीपीएल कार्ड (Governments Schemes) बनवाने में सफल हो जाते है जो गरीब नहीं होते। उनके पास कई एकड़ खेती बाड़ी होती है, पक्के मकान होते है, घर में हर विलासिता के सामान होते है, बाईक और कार होती है, उनके बच्चे सरकारी स्कूलों में नहीं महंगे नीजी स्कूलों में पढ़ते है।
इसके बावजूद सरकारी फाईलों में गरीब बने रहते है और कथरी ओढ़कर मजे से घी खाते रहते है। इन फर्जी गरीबों की पहचान करके उनके छंटनी करना निहायत जरूरी है ताकि वास्तविक गरीबों को सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सकें, किन्तु वोट बैंक के चक्कर में संबंधित सरकारें इन फर्जी गरीबों का सर्वेक्षण कराने से कतराती है। नतीजतन साल दर साल फर्जी गरीबों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
कायदे से तो इन सभी फर्जी गरीबों की पहचान (Governments Schemes) कर उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए और अब तक उन्होने फर्जी ढंग से गरीब बनकर जो शासकीय लाभ उठाएं है उसकी उनसे वसूली की जानी चाहिए ताकि गरीबी का यह गोरख धंधा बंद और वास्तविक गरीबों को लाभ मिले और वे गरीबी रेखा से ऊपर उठ सके।