Government on target regarding law and order: महाराष्ट्र में एनसीपी के नेता और पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की हत्या के मामले को लेकर अब महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है।
गौरतलब है कि एक सप्ताह के भीतर यह एनसीपी नेताओं की हत्या की यह दूसरी घटना है। पिछले दिनों एक और एनसीपी नेता सचिन कुर्मा की हत्या की गई थी और अब बाबा सिद्दीकी की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई।
बाबा सिद्दीकी को वाई श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई गई थी। इसके बावजूद उनकी हत्या होने से महाराष्ट्र की बिगड़ती कानून और व्यवस्था पर सवालिया निशान लगना स्वाभाविक है।
उल्लेखनीय है कि एनसीपी सरकार में शामिल है फिर भी एक सप्ताह के भीतर उसके दो नेताओं की हत्या कर दी गई है। हालांकि बाबा सिद्दीकी के हत्या के आरोपी दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन एक अन्य आरोपी अभी तक फरार है। बाबा सिद्दीकी के बॉलीवुड सितारों से करीबी संबंध रहे है।
और यह समझा जा रहा है कि इसी वजह से उन्हें कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिसनोई के गैंग ने निशाना बनाया है। बहरहाल महाराष्ट्र पुलिस कई एंगलो से बाबा सिद्दकी हत्याकांड की जांच कर रही है।
इस बीच शरद पवार ने इस घटना को लेकर गहन चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि बाबा सिद्दीकी की हत्या खतरे की घंटी है और महाराष्ट्र की बिगड़ती कानून और व्यवस्था को लेकर शिंदे सरकार को न सिर्फ कड़े कदम उठाने चाहिए बल्कि गृह मंत्री को इसकी जिम्मेदारी लेकर अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
उन्होंने इस घटना के पिछे किसी बड़े गैंगस्टर का हाथ होने की संभावाना जताई है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में शिज्ञ्र ही विधानसभा चुनाव होने जा रहे है ऐसे में किसी सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं की हत्या की घटना से सरकार सवालों के घेरे में आ गई है।
और इसे लेकर शियासत भी होना ताज्जुब की बात नहीं है। शिवसेना उद्धव गुट के नेता आदित्य ठाकरे ने भी बाबा सिद्दीकी हत्याकांड को लेकर शिंदे सरकार पर जमकर निशाना साधा है और यह आरेाप लगाया है कि महाराष्ट्र में कानून और व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है जाहिर है
एन विधानसभा चुनाव के पूर्व एक सप्ताह के भीतर तीन नेताओं की हत्या होना शिंदे सरकार के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। इसलिए महाराष्ट्र में कानून और व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को सुधारने के लिए शिंदे सरकार को जल्द ही कड़े कदम उठाने होंगे
अन्यथा आने वाले विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र में बिगड़ती कानून और व्यवस्था की स्थिति एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है।