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UPI यूजर्स के लिए खुशखबरी, 15 फरवरी से बदल जाएगा ये नियम; मिलेगी नई सुविधाएं..

Good news for UPI users, these rules will change from February 15; New facilities will be available...

Good news for UPI users

नई दिल्ली। Good news for UPI users: पिछले कुछ सालों में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस के इस्तेमाल का चलन तेजी से बढ़ा है। आजकल लोग 5 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक का भुगतान यूपीआई का उपयोग करके करते हैं। यूपीआई सुविधा के शुभारंभ के बाद से लोगों के पास नकदी कम हो गई है और भुगतान कुछ ही सेकंड में हो जाता है। सरकार यूपीआई को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर नई पहल लागू करती है। भारत के अलावा यूपीआई को श्रीलंका, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात, भूटान, जापान, फिलीपींस, इथियोपिया और न्यूजीलैंड में भी लॉन्च किया गया है, जिससे भारतीयों के लिए वहां लेनदेन करना आसान हो गया है।

ये नियम 15 फरवरी से लागू होंगे

इस बीच, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसमें लेनदेन क्रेडिट पुष्टि (डेबिट) और रिटर्न के आधार पर चार्जबैक की स्वत: स्वीकृति या अस्वीकृति की रूपरेखा दी गई है। बयान में कहा गया है कि यह नियम 15 फरवरी से लागू होगा।

यूपीआई चार्जबैक प्रणाली क्या है?

एनपीसीआई द्वारा प्रस्तुत नई नीति विवाद, धोखाधड़ी या तकनीकी समस्याओं के कारण किए गए यूपीआई लेनदेन को यूपीआई चार्जबैक के माध्यम से वापस करने की है। यह प्रक्रिया भुगतान बैंक द्वारा शुरू की जाएगी और यदि बैंक इसे उचित समझे तो भुगतान उपयोगकर्ता के खाते में वापस कर दिया जाएगा।

चार्जबैक प्रणाली की विशेषताएं

चार्जबैक और रिफंड में क्या अंतर है?

जब कोई उपयोगकर्ता यूपीआई भुगतान पोर्टल या किसी सेवा प्रदाता से अनुरोध करता है, तो मामले की जांच के बाद रिफंड की प्रक्रिया की जाती है। लेकिन यूपीआई चार्जबैक में किसी भी गलत लेनदेन के बाद, उपयोगकर्ताओं को पेटीएम, गूगल पे, फोनपे जैसे यूपीआई लेनदेन ऐप पर इसकी रिपोर्ट करने के बजाय अपने बैंक से संपर्क करना होगा। इसके बाद बैंक आपके मामले की जांच करेगा और चार्जबैक की कार्रवाई करेगा।

इसका बैंकों पर असर पड़ेगा

भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने सभी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) सदस्य बैंकों से संबंधित अधिकारियों को इस अपडेट के बारे में जानकारी देने को कहा है। नये नियमों से विवाद प्रबंधन को सुचारू बनाने, दंड को कम करने तथा निपटान में सुधार होने की उम्मीद है।

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