Game of VIP treatment in jails: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित आबकारी और कोयला घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किए गए लोगों को रायपुर स्थित सेंट्रल जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट मिलने की शिकायतों को मददेनजर रखकर विशेष कोर्ट ने इन सभी आरोपियों को प्रदेश की अलग अलग जेलों में स्थानांतरित करने का आदेश दिया है।
इसके बाद अब इन घोटालों के आरोपियों को जगदलपुर कांकेर और अंबिकापुर सहित अन्य जेलों में स्थानांतरित किया जा रहा है। किन्तु सवाल यह उठता है कि क्या वहां के जेलों में इन्हें वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं मिल पाएगा।
दरअसल जेलों में वीआईपी ट्रीटमेंट का खेल लंबे समय से चल रहा है। जहां पैसा फेंको तमाशा देखो का खुला खेल फर्रुखाबादी कोई नई बात नहीं है।
देश के लगभग सभी प्रदेशों की जेलों का यही हाल है और छत्तीसगढ़ की जेलें भी इससे अछुती नहीं है। विचाराधीन बंदियों को इन जेलों में सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है।
बस इसके लिए बंदियों की जेब में दम होना चाहिए। समय समय पर इन जेलों में आकस्मिक छापें पडऩे के दौरान जेल में चल रहे इस खेल का पर्दाफाश हुआ है। इन छापों के दौरान कई आपत्तिजनक चीजें भी बरामद हुई हैं।
इसके बावजूद जेलों में वीआईपी ट्रीटमेंट का खेल रूकने का नाम नहीं ले रहा है। इन जेलों की स्थिति पर उत्तरप्रदेश के एक डीजीपी ने हाल ही में यह रहस्योद्घाटन किया था कि यूपी की जेलों में पूर्ववर्तीय सरकारों के दौरान साधन संपन्न कैदियों को पच्चीस हजार रुपए रोज का भुगतान करने पर सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाती थी।
इसका मतलब साफ है कि जेल में पैसा ही बोलता है और साधन संपन्न बंदी हर सुविधा का लाभ उठाते हं।ै यहां तक की जेल में रहते हुए भी वे अपना सिंडीकेट और गैंग भी चलाते हैं।
ऐसे मामलों का खुलासा होने पर संबंधित जेल अधिकारी सिर्फ कुछ समय के लिए निलंबित होते हंै। इसलिए अब यह जरूरी हो गया है
कि जेल में वीआईपी ट्रीटमेेंट उपलब्ध कराने के दोषी जेल अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कडी़ कार्यवाही का प्रावधान किया जाए सिर्फ निलंबन से काम नहीं चलेगा। उन्हें सेवा से बर्खाश्त किया जाए। तभी जेल में पैसों का यह खेल रूक पाएगा।