Floor Test : महाराष्ट्र विधानसभा में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार फ्लोर टेस्ट में पूरे नंबरों से पास हो गई है। शिंदे सरकार के पक्ष में १६४ विधायकों ने अपना वोट दिया वहीं विपक्ष में सिर्फ ९९ वोट पड़े। इस दौरान उद्धव ठाकरे के एक कट्टर समर्थक विधायक ने भी पाला बदलकर एकनाथ शिंदे की सरकार का समर्थन कर दिया।
इस दौरान खिसियानी बिल्ली खम्भा नोंचे वाली कहावत को चरितार्थ (Floor Test) करते हुए उद्धव ठाकरे के समर्थक विधायकों ने सदन में ईडी सरकार…. ईडी सरकार के नारे लगाए। जिसका सटिक जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस ने कहा कि हमारी सरकार सचमुच में ईडी सरकार है। उन्होंने कहा कि ई का मतलब एकनाथ और डी का मतलब देवेन्द्र है। एकनाथ शिंदे की सरकार के पक्ष में १६४ मत पडऩा उद्धव ठाकरे गुट के लिए एक और बड़ा झटका है।
इसके पहले स्पीकर के चुनाव में भी उद्धव ठाकरे गुट को झटका लग चुका था। वैसे तो उद्धव ठाकरे गुट को झटके लगने की शुरूआत विधान परिषद के और राज्यसभा सदस्य के चुनाव के दौरान ही लगना शुरू हो गया था। जो अब तक जारी है। इसके बावजूद शिवसेना के बड़बोले प्रवक्ता संजय राउत अभी भी बेतूकी बयानबाजी से बाज नहीं आ रहे है और एकनाथ शिंदे की सरकार को अवैधानिक बता रहे है। वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमों शरद पवार भी एकनाथ शिंदे की सरकार को कागज की नाव करार दे रहे है।
उन्होंने भविष्वाणी की है कि शिंदे सरकार छह माह के भीतर गिर जाएगी और महाराष्ट्र में विधानसभा के लिए मध्यावधी चुनाव कराए जाएंगे। शरद पवार ने अपनी पार्टी के विधायकों को मध्यावधी चुनाव की तैयारी करने के भी निर्देश दे दिए है। गौर तलब है कि शरद पवार इसके पहले भी जब उद्धव ठाकरे की सरकार अल्पमत में आ चुकी थी तब भी अंमित क्षण तक यह दावा करते रहे थे कि उद्धव ठाकरे की सरकार नहीं गिरेगी और अपने पांच साल का कार्यकाल हर हालत में पूरा करेगी।
किन्तु उनका यह दावा निराधार निकला ऐसे में एकनाथ शिंदे की सरकार गिरने का उनका दावा भी खोखला साबित हो तो कोई ताज्जुब नहीं होगा। बहरहाल एकशिंदे की सरकार ने सदन में बहुमत साबित कर पूर्ववर्ती महाअघाड़ी सरकार को पटकनी दे दी है। अब तो उद्धव ठाकरे की शिवसेना के सामने अपनी पार्टी को बचाने की चुनौती है।
एकनाथ शिंदे अब पार्टी के चुनाव चिन्ह पर कब्जा (Floor Test) करने की कवायद में लग गए है और उन्होने अपने गुट को असली शिवसेना बताना शुरू कर दिया है। जाहिर है यह मामला अब चुनाव आयोग और फिर सुप्रीम कोर्ट तक जाएगा इसके बाद ही यह तय होगा कि असली शिवसेना कौन सी है और शिवसेना का चुनाव चिन्ह तीरकमान किसे मिलेगा?