Faith of Hindus : करोड़ों हिन्दुओं के आस्था के प्रतीक और पवित्र धर्मग्रन्थ रामायण व रामचरितमानस को लेकर जो राजनीतिक महाभारत हो रहा है। वह कतई उचित नहीं है। पहले बिहार के एक राजद नेता और वहां के शिक्षाम ंमंत्री चंद्रशेखर ने रामायण को लेकर अत्यंत आपत्तिजनक टिप्पणी की थी और रामायण को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ करार दिया था। उनके खिलाफ किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की गई और न ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने उन्हे मंत्री पद से हटाने का साहस दिखाया।
बिहार की सियासी जमीन से उठा रामचरितमानस विवाद का तूफान उत्तर प्रदेश आते-आते गहरा गया है। विवाद को हवा सीनियर नेता और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान ने दी है। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के सीनियर नेता और प्रदेश के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव ने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया। बयानों के बाद असहज राजद के सीनियर नेता इस विवाद में दो ध्रुव पर जाते नजर आए। सीएम नीतीश कुमार तक को शिक्षा मंत्री को धर्म के मामले में बयान देने को लेकर नसीहत दी गई। लेकिन, रामचरितमानस अब बिहार की सीमा को लांघता हुआ उत्तर प्रदेश पहुंच गया है। समाजवादी पार्टी के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को विवादित चीजों का संकलन करार दिया।
इसे देश में बैन किए जाने की मांग कर डाली। स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान सामने आते ही विवाद गहरा गया। सवाल सीधे समाजवादी पार्टी पर उठने लगे। सवाल यह कि क्या सपा भी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से इत्तेफाक रखती है? अगर नहीं तो स्वामी मौर्य पर किस प्रकार की कार्रवाई की जा रही है? इन तमाम बयानों से इतर यूपी के सियासी मैदान में रामचरितमानस विवाद ने एक अलग ही माहौल बनाना शुरू कर दिया है। अखिलेश यादव पिछले दिनों लगातार जातीय आरक्षण की बात करते रहे हैं। जाति आधारित जनगणना की बात कर रहे हैं।
आबादी के आधार पर आरक्षण की वकालत करते दिखते हैं। ऐसे में स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का असर व्यापक दिख सकता है। समाजवादी पार्टी की रणनीति इन दिनों माय समीकरण को साधने की है। इसको लेकर वे यादवलैंड में पिछले दिनों खासे सक्रिय नजर आए हैं। लेकिन, रामचरितमानस का मुद्दा ऐसा है, जो जातीय दायरे से ऊपर है। इस मामले को लेकर भाजपा आक्रामक हो गई है।
अब तक अखिलेश यादव पिछड़ा वर्ग को साधने (Faith of Hindus) के लिए तरह-तरह की बात करते दिखते हैं। निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण का मामला उन्होंने जोरदार तरीके से उठाया है। लेकिन, जैसे ही मामला जाति से निकलकर धर्म तक पहुंचता है। फायदे में भाजपा आने लगती है। वर्ष 2024 के आम चुनाव से पहले ऐसे बयानों से अलग राजनीतिक माहौल बनने की संभावना दिखने लगी है। भाजपा फायदे वाले मुद्दों को भुनाने की पूरी कोशिश करेगी।