Environment Protection : हर साल की तरह इस बार भी पांच जून को पूरे देश में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। महानगरों से लेकर गांवों कस्बों तक जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने पौधा रोपण कर उसके चित्र मीडिया और सोशल मीडिया पर जारी करके खुद को पर्यावरण मित्र के रूप में प्रचारित किया। यह अच्छी बात है यदि कोई नेक काम किया जाता है तो उसका प्रचार भी होना चाहिए ताकि उससे लोग प्रेरणा ले सके। किन्तु जब सिर्फ प्रचार के लिए ही ऐसे काम किए जाते है तो अफसोस होता है।
आज ज्यादातर लोग सिर्फ पर्यावरण प्रेमी (Environment Protection) होने का दिखावा ही कर रहे हैं। पौधा लगाया, फोटो खिचाईं और अपने कत्र्वय की इतिश्री मान ली। बाद में उस पौधे का क्या हुआ पुष्पित और पल्लवित होकर वृक्ष बनता है या खाद पानी के अभाव में सुख जाता है। यह देखने की किसी को पुर्सत नहीं होती। हर साल वनविभाग लाखों पौधे वितरित करता है। यदि वे लग जाते और उनका सरंक्षण किया जाता तो देश में नए जंगल उगाए जा सकते थे।
किन्तु ऐसा होता नहीं है। कुछ सामाजिक संस्थाएं अवश्य ही पौधा रोपण कार्य को गंभीरता से ले रही है और अपने द्वारा लगाए गए पौधों की देखभाल भी करती है। ऐसी संस्थाओं को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है। आज दुनिया पर ग्लोबल वार्मिंग का जो खतरा मंडरा रहा है उसे देखते हुए पर्यावरण संरक्षण के लिए सारी दुनिया को कारगर पहल करनी होगी। इस मामले में भारत विश्वगुरू की भूमिका निभा सकता है बल्कि निभा भी रहा है।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अंर्राष्ट्रीय मंचों पर ग्लोबल वार्मिंगता को लेकर न सिर्फ गंभीर चिंता जताते है बल्कि इसके समाधान के उपाए भी सुझाते है। भारत में कभी एक बड़ा भू-भाग वनों से आच्छादित हुआ करता था। जिसकी वजह से भारत ने वर्षा भी अच्छी होती थी और प्रकृति का संतुलन भी बना रहता था लेकिन विकास की अंधी दौड़ ने वृक्षों की कटाई सुरू कर दी और देखते ही देखते हरे भरे जंगलों की जगह कांक्रीट के जंगल विकसित होने लगे।
इसी का यह दुष्परिणाम (Environment Protection) है कि कभी भारी वर्षा तो कभी सुखा के रूप में प्राकृतिक आपदाए टूटने लगी है। अभी भी समय है कि हम सचेत हो और अधिक से अधिक पौधा रोपण कर पर्यावरण संरक्षण अभियान में अपना योगदान दें। हर काम सरकार के भरोसे न छोड़ा जाए। यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने परिवार के सदस्यों के जन्मदिन पर एक-एक पौधा लगाने और उसका संरक्षण करने का संकल्प ले तो भारत की इस पावन धरा को एक बार फिर आसानी से हरा भरा किया जा सकता है और पर्यावरण को सुरक्षित किया जा सकता है।