Economy of Sri Lanka : हमारा पड़ौसी देश श्रीलंका कर्ज के बोझ तले इस कदर डूब चुका है कि अब उसका उबर पाना असंभव की हद तक कठिन हो गया है। श्रीलंका पर तीन खरब डालर का कर्ज हो गया है। जिसका छत्तीस प्रतिशत कर उसने चीन से लिया है। आज श्रीलंका की स्थिति यह है कि वहां महंगाई अपने चरम स्तर पर पहंच गई है। नतीजतन लोगों के सामने भूखों मरने की स्थिति आ गई है।
गरीब तो गरीब साधन सम्पन्न (Economy of Sri Lanka) अमीर लोगों के लिए भी आवश्यक वस्तुओं की खरीद कर पाना मुश्किल हो गया है। चांवल पांच सौ रूपए किलो हो चुका है। इसी तरह अन्य वस्तुओं के दाम भी इस कदर बढ़ गए है कि वे लोगों की पहुंच से बाहर हो गए है। पेट्रोल और डीजल की ऐसी किल्लत मची है कि पेट्रोल पंपों पर वाहनों की लंबी लंबी कतारें लग रही है। पेट्रोल पंप की सुरक्षा के लिए सेना को तैनात करना पड़ रहा है।
रसोई गैस का सिलेण्डर आठ हजार रूपए में मिल रहा है। बिजली की स्थिति यह है कि 24 घण्टे में 13 घण्टे बिजली कटौती की जा रही है। आपदा की इस घड़ी में भारत ने श्रीलंका की मदद के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया है और उसे अनाज के साथ ही डीजल भी भेजा है। इसके अलावा भारत ने श्रीलंका को 11 हजार करोड़ का कर्ज दिया है और अब श्रीलंका भारत से 1900 करोड़ रूपए का कर्ज और मांग रहा है।
श्रीलंका की बद से बदतर होती इस स्थिति के लिए जिम्मेदार वहां की राजपक्षे सरकार के खिलाफ जनता सडक़ों पर उतर आई है। पूरे श्रीलंका में आपातकाल लगाकर कफर््यू लगा दिया गया है इसके बावजूद जनता सडक़ पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है। जनता के आक्रोश को देखते हुए श्रीलंका सरकार के मंत्रीमण्डल ने अपना इस्तीफा सौप दिया है।
वहां का विपक्ष इस स्थिति के लिए सरकार को जिम्मेदार ठाहराकर श्रीलंका में जल्द चुनाव कराने की मांग कर रहा है। श्रीलंका की पूरी अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई है और वहां का शेयर बाजार भी धड़ाम से गिर पड़ा है। नतीजतन शेयर की ट्रेडिंग रोकनी पड़ी है।
यदि भारत सहित अन्य देशों ने भी श्रीलंका (Economy of Sri Lanka) की मदद के लिए अपने हाथ आगे नहीं बढ़ाए तो श्रीलंका की हालत और ज्यादा खराब हो सकती है। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था किस कदर खस्ताहाल हो चुकी है इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसका विदेशी मुद्रा भंडार सत्तर प्रतिशत से भी ज्यादा खत्म हो चुका है। यदि यही हालात रहे तो श्रीलंका कंगाल होकर रह जाएगा।